क्वान्टम तकनीकि को बेहतर करने के क्रम में प्रकाश उत्सर्जन को एकल फोटॉन के स्तर पर लाने के लिए वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं।

फोटॉन सघनता के आंकड़ों, जिसे मौलिक कण भी कहते हैं, में मोर के पंख की तरह अभियांत्रिकी के माध्यम से लगातार होने वाले उत्सर्जन को फोटॉन की बनावट या पाक्षिक परिवर्तन के आधार पर बदला जा सकता है। यह बनावट प्रकाश के उत्सर्जन को एक प्रभावी तंत्र के रूप में नियंत्रित करती है। अतः क्वान्टम उत्सर्जकों को, यहाँ तक कि एकल फोटॉन को भी बदलकर उच्च प्रभावी लेज़र में बदला जा सकता है।

भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकि विभाग के इस वर्ष के स्वर्ण जयंती फेलोशिप विजेता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रोपड़ के भौतिक विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश वी. नायर को प्रकाश की गति और उसके उत्सर्जन पर आंशिक नियंत्रण में सफलता प्राप्त हुई है।



डॉ. नायर का लक्ष्य स्वर्णजयंती फ़ेलोशिप के माध्यम से क्वान्टम कम्यूनिकेशन में एकल फोटॉन को उच्च उत्सर्जन गति के लिए परमाण्विक दोषों से एकल फोटॉन स्तर तक प्रकाश उत्सर्जन को समझना है।

उन्होंने नाइट्रोजन वैकेंसी (एनवी) केंद्र (नाइट्रोजेन इंप्युरिटी एटम के डायमंड क्रिस्टल में बदलाव) के अध्ययन का प्रस्ताव किया है, जो उत्सर्जक के आसपास फोटॉन के घनत्व में बदलाव के द्वारा फोटॉन के ढांचे से जुड़ा हुआ हो। यह फोटोनिक क्वान्टम प्रौद्योगिकी और अल्ट्रा-सेंसिटिव सेन्सिंग में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। अपनी टीम के साथ उनका प्रयास एकल फोटॉन उत्सर्जन की दर को समझने के साथ-साथ एनवी केंद्र के स्पिन गुण धर्म को समझना है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सर्जन की दर और घनत्व बेहतर होगा। नाइट्रोजन वैकेंसी (एनवी) केंद्र जैसे स्पिन केन्द्रों के इस्तेमाल से एकल स्पिन और फोटॉन का नियंत्रित बदलाव समय की आवश्यकता है और यह क्वान्टम प्रौद्योगिकी में भारत को विश्व में अग्रणी बनाएगा।

इस क्षेत्र में हाल ही में किए गए शोध के संबंध में और अधिक विवरण दिए गए लिंक पर प्राप्त किया जा सकता है: www.iitrpr.ac.in/LaNOM

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