![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiYb4Klsb2B3T4T3VpMDLpN9Hj-l6veKlOvqck5HFhfl_artGgW0FxbWEPdTsqweodnSoCApqwtO3aU9wIavZqrLRJQWrXDQfZY-Q3HSyJDhBifWlrN4XqJOqPJkQ2oHUpktM_1B23iTlU/s16000-rw/Screenshot_2020-12-10+navbharat-times+jpg+%2528WEBP+Image%252C+600+%25C3%2597+405+pixels%2529.png)
सड़क पर भीख मांग कर गुजरा करने वाले यह बुजुर्ग आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से स्नातक की उपाधि प्राप्त है। 90 की उम्र में ग्वालियर की सड़कों पर लोगों से मांग कर अपनी पेट भरते हैं। बातचीत में उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजनीयरिंग की डिग्री ली है। इन्होंने अपना नाम सुरेंद्र वशिष्ठ बताया है पिता छेदा लाल वशिष्ठ हैं। कुछ दिन पहले टीआई मनीष मिश्रा को रेस्क्यू करने वाले संस्था ने ही अपनाया है। मनीषा मिश्रा भी ग्वालियर के इसी संस्था में रह रहे हैं।
ग्वालियर स्थित आश्रम
स्वर्ग सदन के विकास गोस्वामी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा है कि हमने इन्हें ग्वालियर बस स्टैंड के पास बेसहारा हालत में पाया था। जब हमने उनसे बातचीत शुरू की तो वह अंग्रेजी में बात करने लगे। उसके बाद हम लोग उन्हें आश्रम लेकर आए हैं और उनके रिश्तेदारों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। सुरेंद्र वशिष्ठ ने बातचीत के दौरान बताया है कि वह
1969 बैच के
आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं।
सुरेंद्र वशिष्ठ ने यह भी बताया है कि उन्होंने डीएबी कॉलेज लखनऊ से 1972 में एलएलएम किया है। उनके पिता जेसी मिल में सप्लायर थे। यह मिल 1990 में बंद हो गया था। इसी संस्था में रह रहे मनीष मिश्रा की स्थिति अब पहले से बेहतर हैं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiZH-enJ413JT-TmScdBiSBUTtusYqlyf6ETpjGyzTJ_J79_9_SMWn3NsHOhn9aMbPsxDnoywh9S76mbsiOo-HAJ2A0E0dyyTPqvS00xzyLifxXnXzcUUSoGZF-7pzGoLxpmK5rOvFm-A8/s16000-rw/Screenshot_2020-12-10+navbharat-times+jpg+%2528WEBP+Image%252C+700+%25C3%2597+525+pixels%2529.png)
संस्था ने उनकी पहचान के लिए कुछ तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा है कि फर्राटेदार अंग्रेजी, आत्मविश्वास से भरी हुई आवाज, ग्वालियर मिशहील स्कूल के टॉपर रहे उच्च शिक्षित बुजुर्ग सुरेंद्र वशिष्ठ के कई मित्र इंजीनियर, डॉक्टर, एडवोकेट और बिजनेसमैन हैं। यह शिंदे की छावनी बस स्टैंड फुटपाथ पर अत्यंत दयनीय हालात में मिले हैं।
सुरेंद्र वशिष्ठ भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। संस्था के फैजान बेग ने बताया कि इन्होंने शादी नहीं की है। इनके बारे में कुछ स्थानीय लोगों से सूचना मिली थी। उसके बाद हम लोग संस्था में लेकर आए हैं। आईआईटी कानपुर से पढ़ाई के बाद इन्होंने कई जगहों पर नौकरी भी की है। लेकिन अभी तक इनके परिजनों ने कोई संपर्क नहीं किया है। अब संस्था में रख कर इनकी देखभाल की जा रही है।
स्रोत और सभी चित्र - NavBharat Times