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पहला स्मार्ट हथियार "स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन" (SAAW) का सफल उड़ान परीक्षण किया गया


HAL ने ओडिशा तट से हॉक-आई विमान से एक स्मार्ट एंटी-एयरफ़ील्ड वेपन (SAAW) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया [छवि -  ANI ]


डीआरडीओ ने एक और उपलब्धि हासिल करते हुए स्‍वदेश में निर्मित स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वेपन (एसएएडब्‍ल्‍यू) का कल 21 जनवरी, 2021 को ओडिशा तट से कुछ दूर सफल ‘कैप्टिव एंड रिलीज’ उड़ान परीक्षण किया। यह परीक्षण हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) के हॉक-I विमान के जरिए किया गया।

इस स्‍मार्ट वेपन का एचएएल में निर्मित भारतीय हॉक-एमके132 विमान से सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया गया। डीआरडीओ द्वारा अब तक किए गए सफल परीक्षणों की श्रृंखला में एसएएडब्‍ल्‍यू का यह परीक्षण नौवां था। यह एक टेक्‍स्‍ट बुक परीक्षण था जिसने अपने सभी लक्ष्‍य हासिल किए। बालासोर स्थित अंतरिम परीक्षण अड्डे (आईटीआर) पर स्‍थापित टेलीमीट्री और ट्रैकिंग प्रणाली ने इस मिशन के सभी दृश्‍यों को कैमरे में कैद किया।

स्‍मार्ट एंटी एयरफील्‍ड वेपन का डिजाइन और विकास डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा स्‍वेदशी तौर पर किया गया है। यह 125 किलोग्राम वजन श्रेणी का स्‍मार्ट वेपन है जो कि स्‍थल पर शत्रु की एयरफील्‍ड सम्‍पत्तियों जैसे रेडार, बंकर, टैक्‍सी ट्रैक और रनवे को 100 किलोमीटर की दूरी से निशाना बना सकता है। इसका उच्‍च सटीकता वाला निर्देशित बम भी इस श्रेणी की अन्‍य हथियार प्रणालियों की तुलना में कम वजन का है। इस हथि‍यार का इससे पहले भी जगुआर विमान के जरिए एक सफल प्रायोगिक परीक्षण किया जा चुका है।

डीआरडीओ के अध्‍यक्ष एवं डीडीआरएंडडी के सचिव डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने इस सफल परीक्षण में शामिल टीम को उसकी सफलता पर बधाई दी।

कैसे करें एक अच्छे फैशन ब्रांड की परख?



एक व्यापक मिथक यह है कि फैशन की दुनिया को दो वर्गों में विभाजित है: निम्न-गुणवत्ता वाले कपड़े जो सस्ते हैं, और उच्च गुणवत्ता वाले कपड़े जो महंगे हैं। यह हमेशा सच नहीं होता । ऐसे कई ब्रांड हैं जो कम गुणवत्ता वाले कपड़ों के लिए उच्च कीमत भी मांगते हैं।

तो, कीमत अब गुणवत्ता का संकेतक नहीं है। ऐसे में आप एक अच्छे, सुव्यवस्थित, लंबे समय तक चलने वाले कपडे की परख कैसे कर सकते हैं? इसके कुछ तरीके हैं।

खरीदने से पहले गुणवत्ता की जांच करने के लिए आप कुछ परीक्षण कर सकते हैं:


1. स्‍क्रंच टेस्‍ट: अपनी मुट्ठी में कपड़े का एक भाग लें और इसे कुछ सेकंड के लिए पकड़ें। जब आप इसे जाने देते हैं, तो जांच लें कि क्या कपड़े में झुर्रियाँ बनी रहती हैं या झुर्रियाँ जल्दी निकल आती हैं। यदि यह झुर्रियों से भरा रहता है, तो संभवत: वह कपड़ा आपका लंबे समय तक साथ नहीं देगा |


2. खींच परीक्षण: धीरे से कपड़े को खींचें | जब आप इसे छोड़ते हैं, तो जांच लें कि क्या कपड़ा अपने आकार को बरकरार रखता है या फिर उसकी सामग्री बदल जाती है। यदि कपडे का आकर नहीं बदलता है, तो यह एक अच्छे ब्रांड का प्रतीक है |


3.लेबल परीक्षण: देखभाल के निर्देशों की जाँच करें। कभी-कभी, सस्ते कपड़ों में 'धोए जाने योग्य नहीं' जैसे अजीब निर्देश होते हैं। याद रखें कि एक अच्छी गुणवत्ता वाला कपड़ा निश्चित रूप से धोने योग्य है और इसे आप कई बार पेहेन सकते हैं । यह एक ऐसा टेस्ट है जिसे आप ऑनलाइन खरीदारी करते हुए भी कर सकते हैं। Myntra जैसी वेबसाइट्स आपको लेबल की सारी जानकारी देती हैं- चाहे वो देखभाल के निर्देश हों या कपड़े की संरचना। साथ ही साथ, आप Myntra के लिए कूपन भी प्राप्त कर सकते हैं जो आपको एक सूचित खरीदारी करने में मदद करेगा।

इन परीक्षणों के अलावा, कई चीजें हैं जो आपको परिधान में जांचनी चाहिए। जब आप खरीदारी कर रहे हों, तो निम्नलिखित चीज़ों को ध्यान में रखें:

1. कटौती और फिट

टेबल पर कपड़ा समतल रखें। क्या आप किसी तरह का ओवरलैप नोटिस करते हैं? सबसे सस्ते कपड़े में, परिधान का अगला हिस्सा पिछले हिस्से के साथ ओवरलैप होगा | ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्माता लागतों को बचाने की कोशिश में कटौती का अनुकूलन करता है ताकि वह एक ही कपड़े से अधिक संख्या में टुकड़े कर सके।

सस्ते कपड़े के साथ फिट्स भी एक समस्या है। जब आप एक ब्रांडेड आइटम खरीदते हैं, तो आप एक अच्छी फिट की लक्जरी खरीदते हैं। एक अच्छा फिट वह है जो आपके शरीर का आकर धारण कर ले | दूसरी ओर एक सस्ता कपड़ा आकार नहीं लेता है। यदि टी-शर्ट आपको 12 साल के लड़के की तरह दिखाती है, तो इसे न खरीदें। यदि ड्रेस बस्ट से घुटने तक सीधी है, तो इसे न खरीदें।

2. रंग और प्रिंट


पहली नज़र में सब कुछ एक जैसा दिखता है। 200 रुपये के टॉप और 1000 रुपये के टॉप में ज्यादा अंतर नहीं दीखता | दोनों में जीवंत रंग हैं, और दोनों में अच्छे प्रिंट हैं। हाँ ये ज़रूर है कि दो washes के बाद सस्ता कपडा किसी भी रंग को बरकरार नहीं रखेगा और प्रिंट बहना शुरू हो जाएगा। लेकिन पहली नज़र में आप यह नहीं जानते हैं।

तो, कैसे तय किया जाए? फैशन डिजाइनर जस्टिन लेकोन्टे के अनुसार, यदि आपको एक सॉलिड शर्ट और एक प्रिंटेड शर्ट मिलता है, दोनों एक ही कीमत पर, तो आपको हमेशा सॉलिड शर्ट के लिए जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रिंट को समायोजित करने के लिए, निर्माता को कहीं और लागत-कटौती करने की संभावना है। शायद कपड़े पतले होंगे, शायद टाँके खराब होंगे, कहना मुश्किल है |

इसके अलावा, अधिक महंगे वस्त्र प्रिंटों के बजाय जैक्वार्ड्स का उपयोग करते हैं। जैक्वार्ड में, पैटर्न कपड़े में बुना जाता है, बजाय ऊपर से चिपकने के। वह गुणवत्ता में बहुत बेहतर होता है, और अधिक महंगे भी होता है |

3. रेशे और कपड़े

एक अच्छी गुणवत्ता वाले कपडे की पहचान उसकी रचना से की जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आपको कपडे को उज्ज्वल प्रकाश के सामने पकड़ना चाहिए। यदि कपड़ा मोटा है, तो यह गुणवत्ता का संकेत है।

लेकिन जबकि मोटाई अपने आप में ही एक अच्छा संकेत है, आपको इसके अलावा और भी चीज़ों को जांचने की आवश्यकता है। आपको फैब्रिक की भी जांच करनी चाहिए। 4 मुख्य प्राकृतिक कपड़े हैं: कॉटन, रेशम, लिनन और ऊन। इनके आलावा कुछ ’नए’ प्राकृतिक कपड़े भी हैं जिनमें और भी बेहतर गुण हैं। इनमें हैं मोडल (कपास से बेहतर), विस्कोस (लकड़ी से बनाया गया), और टेंसल (बांस से बनाया गया) |

इन नेचुरल फैब्रिक से बने कपड़े त्वचा पर अच्छे लगते हैं। लेकिन उनमें अच्छी पकड़ नहीं होती | इसलिए कपडे को मजबूती और आकार देने के लिए निर्माता एसिटेट, रेयॉन, नायलॉन, ऐक्रेलिक, पॉलिमर और एलाथेन जैसे सिंथेटिक कपड़े जोड़ते हैं। यह एक बुरी चीज नहीं है। ये फैब्रिक आपके कपडे में जान डाल सकते हैं। लेकिन वे टिकाऊ नहीं हैं, और केवल एक छोटे प्रतिशत में पाए जाने चाहिए। अधिकांश कपडा प्राकृतिक फैब्रिक का बना होना चाहिए|

इसके अतिरिक्त, यदि आप जो कपड़ा खरीद रहे हैं, उसके नीचे एक अस्तर है, तो सुनिश्चित करें कि अस्तर एक प्राकृतिक कपड़े का है। जो हिस्सा आपकी त्वचा को छूता है, वह प्राकृतिक होना चाहिए |

4. सिलाई की गुणवत्ता

आपको यह देखना होगा कि सिलाई सहज है या नहीं। बस परिधान को बाहर की ओर मोड़ें और सिलाई लाइनों को देखें। उन्हें भारी नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें सीधा एवं फ्लैट होना चाहिए। साथ ही, प्रति इंच में अधिक से अधिक टांके होने चाहिए।

यदि किनारों को छिपाने के लिए सीम हैं, तो यह हमेशा एक अच्छा संकेत है। यदि इन सीमों में मैचिंग थ्रेड्स हैं, और यदि इनका पैटर्न कपडे के बाकी हिस्सों के मिलता-जुलता है, तो यह उच्च गुणवत्ता का संकेत है। यह दर्शाता है कि निर्माता ने अधिक कपड़े का उपयोग किया है | यह उसके लागत को बढ़ाता है।

विवरण में गुणवत्ता छिपी हुई है। जेब पर साइड सीम की जांच करें, बटनहोल पर घनिष्ठ सिलाई की जांच करें, और जांचें कि बटन कितना सुरक्षित है।


भारत ने दिल के छेद को ठीक करने और मस्तिष्क की धमनियों के बैलूनिंग को ठीक करने के लिए अपने पहले स्वदेशी उपकरण बनाये

मस्तिष्क की धमनियों की सूजन (बलूनिंग) को ठीक करने के लिए पहले स्वदेशी उपकरण और दिल के छेद के इलाज से संबंधित उपकरण के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से जुड़े समझौते

चित्रा फ्लो डायवर्टर स्टेंट की कीमत वर्तमान में आयात किए जाने वाले स्टेंटों से कम होने की उम्मीद है



भारतीयों को जल्द ही रक्त प्रवाह में बदलाव करके मस्तिष्क में धमनियों के सूजन को सीमित करने वाले पहले स्वदेशी फ्लो डायवर्टर स्टेंट और दिल के छेद के बेहतर इलाज को बढ़ावा देने वाला एक उपकरण सुलभ होंगे।

देश में पैदा होने वाले प्रत्येक 1000 जीवित बच्चों में से 8 बच्चों को प्रभावित करने वाले आट्रीयल सेप्टल दोष (एएसडी) या दिल के छेद को ठीक करने में इस्तेमाल होने वाले नीतिनोल-आधारित अक्लूडर डिवाइस की मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान में इसका आयात किया जाता है।

इसके अलावा, भारत फ्लो डायवर्टर स्टेंट का निर्माण नहीं करता है। यह स्टेंट मस्तिष्क में धमनियों के इंट्रकेनीअल एन्यूरिज्म या धमनियों की सूजन को सीमित करने के लिए रक्त प्रवाह को बदलने में काम आता है और इस सूजन के फटने या इससे जुड़ेआघात की संभावना को कम करने में मदद करता है।

इन चुनौती से निपटने के लिए, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड प्रौद्योगिकी (एससीटीआईएमएसटी) ने टेक्नीकल रिसर्च सेंटर (टीआरसी) के तहत, दो बायोमेडिकल प्रत्यारोपण उपकरणों- एक आट्रीयल सेप्टल डिफेक्ट अक्लूडर और एक इंट्रकेनीअल फ्लो डायवर्टर स्टेंट- के लिए पुणे स्थित बायोरेड मेडिसिस के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस संस्थान ने नेशनल एयरोस्पेस लेबोट्रीज, बेंगलुरु (सीएसआईआर-एनएएल) के साथ मिलकर सुपरलैस्टिक नीतिनोल मिश्रत धातु का उपयोग करके ये दोनों स्टेंट विकसित किए हैं।

इस सप्ताह के शुरू में एक ऑनलाइन बैठक के माध्यम से सीएसआईआर-एनएएल के निदेशक डॉ. जितेंद्र जे जाधव की उपस्थिति में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए एससीटीआईएमएसटी के निदेशक डॉ. के जयकुमार और बायोरेड मेडिसिस के प्रबंध निदेशक श्री जितेंद्र हेगड़े ने हस्ताक्षर किए।

एससीटीआईएमएसटी द्वारा विकसित नया एएसडी अक्लूड दिल के छेद के बेहतर इलाज को बढ़ावा देता है और आस-पास के ऊतकों को कम से कम नुकसान पहुंचाता है। यह प्रणाली एक नवीन प्रक्रिया से लैस है जो इलाज के उपकरण के सुगम संचालन को आसान बनाता है। उपकरण को दो भारतीय पेटेंट आवेदनों, एक अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन और दूसरा डिजाइन पंजीकरण के माध्यम से सुरक्षित किया गया है।





एसटीटीआईएमएसटी द्वारा विकसित एन्यूरिज्म में उपकरण की सटीक स्थिति को संभव बनाने वाला फ्लेक्सिबल फ्लो डायवर्टर स्टेंट भारत में पहली बार निर्मित किया गया है। यह एक नये ब्रेडिंग पैटर्न के माध्यम से किंक प्रतिरोध और बेहतर रेडियल ताकत रखता है जो उपकरण को फ्लेक्सिबल बनाता है और वाहिका सीमाओं की विकृति के अनुकूल रखता है। यह उपकरण रेडियोधर्मी दृश्यता के लिए रेडियो-ओपेक्यू मार्कर की सुविधा भी प्रदान करता है। संबंधित वितरण प्रणाली एन्यूरिज्म से इतर डिवाइस की सटीक स्थिति को संभव बनाती है। इस उपकरण की विशेषताओं को दो भारतीय पेटेंट आवेदनों, एक अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन और दूसरा डिजाइन पंजीकरण के माध्यम से सुरक्षित किया गया है। चित्रा फ्लो डायवर्टर स्टेंट की कीमत वर्तमान में आयात किए जाने वाले स्टेंटों से कम होने की उम्मीद है।



चित्र- चित्रा फ्लो डायवर्टर स्टेंट अनोखे चेकर-बोर्ड पैटर्न के साथ







चित्र- किंक प्रतिरोधी का नया डिजाइन

NanoTech में उपयोगी, भारतीय वैज्ञानिकों ने मछली के झुंडों, पक्षियों के समूहों, जीवाणु संबंधी समूहों जैसे स्व-चालि उतार-चढ़ाव के असाधारण व्यवहार का सुराग लगाया

डीएसटी के वैज्ञानिकों को मछली के झुंडों, पक्षियों के समूहों, जीवाणु संबंधी समूहों जैसे स्व-चालित अस्थिरताओं के असंगत व्यवहार का सुराग मिला

यह जानकारी छोटे पैमाने पर ऊर्जा सक्षम जैव-उपकरणों के निर्माण तथा अंगों में फैलने वाले संक्रमण, एंटीबायोटिक प्रतिरोध इत्यादि की तरह के जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों जैसे नैनो-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में उपयोगी हो सकती है




डीएसटी के वैज्ञानिकों को मछली के झुंडों, कीट समूहों, पक्षियों के समूह और जीवाणु संबंधी समूहों, जिन्हें सक्रिय तत्व प्रणालियां कहा जाता है, जैसी प्रणालियों में अस्थिरताओं की गतिशील उत्पत्ति का एक सुराग मिला है। यह जानकारी छोटे पैमाने पर ऊर्जा सक्षम जैव-उपकरणों के निर्माण तथा अंगों में फैलने वाले संक्रमण, एंटीबायोटिक प्रतिरोध इत्यादि की तरह के जैव-चिकित्सा अनुप्रयोगों जैसे नैनो-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में उपयोगी हो सकती है।

ऐसी प्रणालियां स्व-चालित संघटकों से बनी होती हैं जो यांत्रिक कार्य सृजित करने के लिए अपने आसपास के वातावरण से ऊर्जा निकालती हैं। निरंतर ऊर्जा इनपुट के कारण, इस तरह की प्रणालियां संतुलन से दूर संचालित होती हैं और संतुलन के विपरीत, क्लस्टरिंग, “विशाल” तत्व अस्थिरता और विषम परिवहन जैसे आकर्षक सामूहिक व्यवहार प्रदर्शित करती हैं। विशेष रूप से, उनके परिवहन गुण (आणविक गुण, चिपचिपाहट, तापीय चालकता और गतिशीलता जो उस दर को इंगित करती है, जिस पर गति, ऊष्मा और द्रव्यमान प्रणाली के एक भाग से दूसरे में स्थानांतरित हो जाते हैं) कई बार हैरान करने वाले हो सकते हैं।

इस तरह की प्रणालियों के विसंगतिपूर्ण व्यवहार को एक कप कॉफी, जिसे एक चम्मच से घुमाया गया है, पर विचार करने के द्वारा समझा जा सकता है। यदि कोई उस घुमाव को रोकता है, तो आंतरिक गाढ़े बल, जो तरल की गति का प्रतिरोध करती है, के कारण कॉफी अंततोगत्वा स्थिर हो जाएगी। इसके विपरीत, एक जीवाणु संबंधी घोल को “घुमाने” की कल्पना करें, जो उपयुक्त परिस्थितियों (जीवाणु संबंधी सांद्रता) के तहत, नियमित या निरंतर सामूहिक निर्देशित गति प्रदर्शित कर सकता है; उस मामले में, चिपचिपाहट ऐसे “सक्रिय” जीवाणु तरल पदार्थ में लुप्त हो जाएगी।


इस विषम व्यवहार की जांच करते हुए पुण्यब्रत प्रधान के नेतृत्व में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान एस.एन. बोस राष्ट्रीय मूलभूत विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने स्व-चालित कणों के एक खिलौना मॉडल का अध्ययन किया और सामान्य रूप से इस तरह के सक्रिय मामलों के उभरते गुणों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए प्रणाली में ‘विशाल’ द्रव्यमान अस्थिरता की गतिशील उत्पत्ति की व्याख्या की। इस अध्ययन के निष्कर्ष हाल ही में ‘फिजिकल रिव्यू’ जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

टीम ने स्व-चालित कणों के एक खिलौना मॉडल का अध्ययन किया, जहां बैक्टीरिया की बैलिस्टिक गति (जैसे एस्चेरिचिया कोली) का लंबी दूरी वाले पार्टिकिल हॉपिंग के माध्यम से अनुकरण किया गया था। उन्होंने प्रदर्शित किया कि एक महत्वपूर्ण मान से आगे ट्यूनिंग सांद्रता पर कणों की चालकता या गतिशीलता; भिन्न दिशाओं में चली जाती हैं; दूसरे शब्दों में, प्रतिरोध शून्य हो जाता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने शून्य प्रतिरोध और प्रणाली में विभिन्न बड़े उतार-चढ़ावों के बीच एक अंतरंग संबंध प्रदर्शित किया और इस प्रकार प्रणाली में “विशाल” बड़े उतार-चढ़ावों की गतिशील उत्पत्ति की व्याख्या की।

इसरो का In-SPACe स्टार्ट-अप को बराबरी का अवसर प्रदान करेगा और प्रतिभाशाली अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों का पलायन रोकेगा - मंत्री


तीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR, श्रीहरिकोटा रेंज [चित्र - isro.gov.in]

केन्द्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), राज्यमंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्षडॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) निजी क्षेत्र के सहयोग से "आत्मनिर्भर भारत" को बढ़ावा देगा।

इसरो और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की कुछ हालिया उपलब्धियों के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इन उपलब्धियों का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया, जिनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप सेभारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलने का ऐतिहासिक निर्णय संभव हुआ। उन्होंने कहा किभारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (आईएन – एसपीएसीई) स्थापित करने का निर्णय निजी कंपनियों के साथ-साथ स्टार्ट-अप को बराबरी का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने आगे कहा कि अंतरिक्ष गतिविधियों की प्रस्तावित श्रृंखला में लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान, भू-स्थानिक सेवाएं, उपग्रह नक्षत्र, अनुप्रयोग उत्पाद आदि शामिल हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने का कदम प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा उठाया गया एक दूरदर्शी कदम है और देशभर की प्रमुख निजी कंपनियों द्वारा इसका व्यापक रूप से स्वागत किया गया है।उन्होंने प्रधानमंत्री के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि इन सुधारों के माध्यम सेसिर्फ यह सुनिश्चित करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है कि भारत एक प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष बाजार बन जाए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों का लाभ सबसे गरीब लोगों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह कदम मोदी सरकार द्वारा गरीबों में सबसे गरीब व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सुधार की हर योजना बनाने और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निरंतर प्रयास के जरिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने के सिद्धांतों के अनुरूप है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में क्षमता और संसाधनों को बढ़ाने के अलावा, निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी प्रतिभाशाली अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के प्रतिभा पलायन को भी हतोत्साहित करेगी, जोकि अन्यथा अवसर की तलाश में भारत से बाहर जा रहे थे। उन्होंने आगे बताया कि 25 से अधिक औद्योगिककंपनियां निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार अंतरिक्ष गतिविधियों के संचालन के लिए अंतरिक्ष विभाग से संपर्क कर चुकी हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के तहतपिछले छह वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास के विभिन्न क्षेत्रों में और साथ ही साथ आम नागरिक के जीवनयापन को आसन बनाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों काविस्तार किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि आजअंतरिक्ष एवं उपग्रह प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से उपयोग आपदा प्रबंधन और सटीक मौसम पूर्वानुमान के अलावा रेलवे, सड़क और पुल निर्माण, कृषि क्षेत्र, आवास, टेली-मेडिसिन आदि के क्षेत्रों में भी किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक समुदाय से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग में मूल्य सृजन निर्माण चक्र को मजबूत बनाने का आह्वान किया

द्रव्‍य सृजन के लिए विज्ञान का मूल्‍य-सृजन चक्र आत्‍मनिर्भर भारत के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने द्रव्‍य सृजन के लिए विज्ञान के मूल्‍य सृजन चक्र को बढ़ावा देने के लिए आज वैज्ञानिक समुदाय को प्रोत्‍साहित किया। प्रधानमंत्री नेशनल मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव 2021 के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल और भारतीय निर्देशक द्रव्य प्राणाली राष्ट्र को समर्पित की और राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने कहाकिऐतिहासिक रूप सेकिसी भी देश ने विज्ञान को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में प्रत्यक्ष सह-संबंधों में ही प्रगति की है। उन्होंने इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग के 'मूल्य सृजन चक्र'की संज्ञा दी। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि एकवैज्ञानिक आविष्कार प्रौद्योगिकी का निर्माण करता है और प्रौद्योगिकी से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है। इसके बदले में उद्योगनए अनुसंधान के लिए विज्ञान में और निवेश करता है। यह चक्र हमें नई संभावनाओं की दिशा की ओर ले जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएसआईआर-एनपीएल ने इस मूल्य चक्र को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि द्रव्‍य सृजन के लिए विज्ञान का मूल्य सृजन चक्र आज की दुनिया में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जब देश आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर-एनपीएल नेशनल एटॉमिक टाइमस्‍केल के बारे में प्रसन्नता जाहिर करते हुए उसे आज मानवता को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि भारत समय को नैनो सेकंड के दायरे में मापने के लिए आत्मनिर्भर हो गया है। 2.8 नैनो सेकेंड के सटीक स्तर को प्राप्त करना अपने आपमें एक बहुत बड़ी क्षमता है। अब भारतीय मानक समय 3 नैनो सेकंड से भी कम सटीक स्‍तर के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानक समय केअनुरूप हो गया है। इससे इसरो जैसे संगठनों को बहुत मदद मिलेगी, जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ काम कर रहे हैं। बैंकिंग, रेलवे, रक्षा, स्वास्थ्य, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और इसी प्रकार के अनेक क्षेत्रों से संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकी इस उपलब्धि से बहुत लाभान्वित होगी।

प्रधानमंत्री ने उद्योग 4.0 में भारत की भूमिका को मजबूत बनाने में टाइम स्‍केल की भूमिका के बारे में भी ध्‍यान केन्द्रित किया। भारत पर्यावरण के क्षेत्र में शीर्ष स्थिति की ओर बढ़ रहा है। अभी भीवायु की गुणवत्ता और उत्सर्जन को मापने के लिए आवश्‍यक प्रौद्योगिकी और उपकरणों के बारे मेंभारत दूसरों पर निर्भर है। इस उपलब्धि से इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक प्रभावी तथा सस्ते उपकरणों के निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे वायु गुणवत्ता और उत्सर्जन प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। हमने यह उपलब्धि अपने वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों से हासिल की है।

खादी इंडिया के आधिकारिक ई-कॉमर्स पोर्टल को लॉन्च किया गया

ई-मार्केटिंग के जरिए इस बार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मंत्रालय द्वारा किए गए बदलाव का एक और प्रतीक बना

मंत्रालय के खादी विभाग- खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने ekhadiindia.com नाम सेई-कॉमर्स पोर्टल शुरू किया

ऑनलाइन और बी2सी मॉडल से ग्राहकों तक पहुंचने का मंत्रालय और केवीआईसी का यह पहला प्रयास है

कोविड महामारी के चलते प्रदर्शनी और मार्केटिंग पर लगे तमाम प्रतिबंधों के मद्देनज़र केवीआईसी ने ऑनलाइन बिक्री और ई-मार्केटिंग की दिशा में कदम बढ़ाए

यह प्रयास प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ आह्वान की दिशा में सकारात्मक कदम है
यह पोर्टल भारतीय स्थानीय उत्पादों और उनके निर्माताओं को घरेलू बाज़ार के साथ-साथ वैश्विक बाज़ारों तक पहुंचने में मदद करेगा


नववर्ष की पूर्व संध्या पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने खादी इंडिया की पहली आधिकारिक ई-कॉमर्स वेबसाइट- eKhadiIndia.com को शुरू किया। इस वेबसाइट पर उपलब्ध उत्पाद सूची (कैटलॉग) में घरेलू स्तर पर तैयार किए गए खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की 500 से अधिक श्रेणी में 50,000 से ज़्यादा उत्पाद हैं।यह पोर्टल एक अनुकूल व्यवस्था का निर्माण कर प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भरभारत” के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एमएसएमई को सक्षम बनाता है।

पोर्टल की प्रायोगिक शुरुआत (trial launch) के दौरान एमएसएमई के सचिव श्री ए.के. शर्मा ने बताया कि बुनकरों, कारीगरों, शिल्पकारों और किसानों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इनके द्वारा बनाए गए पर्यावरण अनुकूल और प्रमाणिक खादी और पारंपरिक ग्रामोद्योग उत्पाद भारत के लोगों के दिलों में हमेशा से बसे हुए हैं। अब ये सभी उत्पाद ग्राहकों से केवल एक क्लिक की दूरी पर उपलब्ध हैं। पोर्टल ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ लोगों के घरों तक उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। पिछले कुछ महीनों से हम कोविड महामारी की चुनौती से निपटने और सभी ज़रूरी प्रतिबंधों का पालन करते हुए अनुकूल व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे थे, ताकि खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों को ग्राहकों तक पहुंचाया जा सके। केवीआईसी का यह ई-कॉमर्स पोर्टल इस दिशा में किए गए हमारे प्रयासों का ही सकारात्मक परिणाम है।

इस वेबसाइट के लॉन्च कार्यक्रम के दौरान केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि ekhadiindia.comअपनी तरह का पहला सरकारी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत और आत्मनिर्भर बनाना है। पिछले कुछ सालों के दौरान खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की मांग में लगातार वृद्धि हुई है, अकेले 2018-19 में 25 फीसदी की वृद्धि दर्ज़ की गई थी। केवीआईसी के अध्यक्ष ने बताया कि इस ई-कॉमर्स वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खादी इंडिया उत्पादों को नई पीढ़ी के उपभोक्ताओं के लिए आसानी से उपलब्ध कराना है।

इस वेबसाइट पर परिधान, किराने का सामान, सौंदर्य प्रसाधन, घर की सजावट का सामान, स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों से लेकर उपहार जैसे हज़ारों उत्पाद उपलब्ध हैं। प्राकृतिक और स्थानीय उत्पादों के प्रति नई पीढ़ी की बढ़ती रुचि को ध्यान में रखते हुए केवीआईसी भारत के लोकप्रिय ब्रांड खादी के ई-कॉमर्स पोर्टल के माध्यम से इस पीढ़ी तक पहुंचने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह पोर्टल उन युवाओं के लिए भी एक बेहतरीन सुविधा है, जो बाज़ार जाकर खरीदारी करने के बजाय ऑनलाइन शॉपिंग करना ज़्यादा पसंद करते हैं।

ekhadiindia.com वेबसाइट के कुछ मुख्य बिन्दु, जो इसे अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइटों से अलग बनाते हैः-

  • विशेषरूप से खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री पर केन्द्रित
  • इस पोर्टल पर ग्राहकों के लिए असली खादी ट्रेड मार्क वाले उत्पाद उपलब्ध होंगे
  • यह पोर्टल एक ऐसी प्रणाली पर विकसित किया गया है, जहां कोई भी एसएमई/कारीगर/बुनकर अपने उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक बेचकर डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है
  • ekhadiindia.com वेबसाइट आधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित होने का दावा करने वाले अन्य ई-कॉमर्स पोर्टल के समान अथवा उनसे एक कदम आगे है।
  • इस पोर्टल पर बड़ी मात्रा में ऑर्डर करने और विक्रेताओं के लिए सीधे पंजीकरण करने की सुविधा उपलब्ध है
  • केवीआईसी/केवीआईबी/पीएमईजीपी/एसएफयूआरटीआई/एमएसएमई/उद्यमियों के एकीकरण और केवीआईसी के अंतर्गत काम करते हुए नई एमएसएमई/पीएमईजीपी इकाइयों की सहायता करने वाले सभी हितधारकों के लिए यह एक व्यापक प्लेटफॉर्म है।
  • इस पोर्टल पर ग्राहक सुविधा केन्द्र, रिफंड पॉलिसी जैसी तमाम सुविधाएं हैं।
  • एक समय में एक साथ 50,000 से भी ज़्यादा ग्राहक इस पोर्टल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • यह पोर्टल सोशल मीडिया के अनुकूल है।
  • वेबसाइट और मोबाइल ऐप दोनों रूप में उपलब्ध है।
  • डिजिटल भुगतान की सुविधा।
  • करीब 1.2 अरब से ज़्यादा लोगों तक इसकी पहुंच और देश के प्रत्येक हिस्से में उत्पाद पहुंचाने की सुविधा।ग्राहकों की ज़रूरत की विभिन्न श्रेणियों को ध्यान में रखते हुए 1500 से ज़्यादा उत्पादों के साथ शुरुआत।

केवीआईसी देशभर में बड़ी संख्या में रोज़गार प्रदान करने वाला संगठन है, जो विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार के माध्यम से प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। केवीआईसी खादी और ग्रामोद्योग के साथ मिलकर बुनकरों, कारीगरों, हस्तशिल्पों, किसानों और सूक्ष्म/लघु उद्यमियों के लिए एक नई पीढ़ी के डिजिटल बाज़ार के तौर पर उभरने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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