नयी दिल्‍ली, 13 सितंबर, 2021 /PRNewswire/ --  केंद्रीय आवास तथा नगर विकास और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि, "आत्मनिर्भर भारत का निर्माण तभी संभव है जब हमारे शहर उत्पादक बनें। मैं देख रहा हूं कि यह प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।" श्री पुरी ने यह विचार वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया द्वारा सोमवार को शुरू किए गए एक सप्ताह तक चलने वाले 'कनेक्ट करो 2021' कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद व्यक्त किए। श्री पुरी ने इस बात पर खास जोर दिया कि भारत सरकार नगर पुनरुद्धार का सबसे व्यापक और महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चला रही है। दुनिया में इस वक्त ऐसा कार्यक्रम कहीं और संचालित नहीं किया जा रहा है। वर्ष 2030 तक भारत की शहरी आबादी के 63 करोड़ तक पहुंच जाने संबंधी अनुमान का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साढे 7 वर्षों के दौरान सरकार ने नगर विकास पर 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि का निवेश किया है। "मगर इन भौतिक लक्ष्यों के अलावा हमने डब्ल्यूआरआई इंडिया, ओमिद्यार नेटवर्क तथा अन्य संगठनों के साथ सहयोग स्थापित किया है और वे संगठन हमें लगातार ऐसे विचार उपलब्ध करा रहे हैं कि वास्तव में हम कैसे अपने शहरों को डेमोंसट्रेशन का हब बना सकते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत के नगरीय क्षेत्र आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे। वर्ष 2030 तक भारत की जीडीपी में शहरों का योगदान 70% होगा। वैश्विक स्तर पर सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शहर अपने-अपने देशों में राष्ट्रीय जीडीपी में 5 गुना ज्यादा का योगदान करते हैं। हमें अपने शहरों में आर्थिक गतिविधियों की ऐसी ही सघनता उत्पन्न करने की जरूरत है ताकि हमारा देश निकट भविष्य में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में तब्दील हो सके और आगे चलकर यह 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने। श्री पुरी डब्‍ल्‍यूआरआई इंडिया के कनेक्‍ट करो 2021 कार्यक्रम में बोल रहे थे। स्‍वच्‍छ, हरे-भरे और आर्थिक तथा पर्यावरणीय रूप से सतत और न्‍यायपूर्ण शहरों के विकास के लिये डब्‍ल्‍यूआरआई इंडिया ने सोमवार से 'कनेक्‍ट करो-2021' कार्यक्रम का आयोजन शुरू किया है। एक सप्‍ताह तक चलने वाले इस ध्‍वजवाही कार्यक्रम में भारत समेत दुनिया के अनेक देशों के ऐसे नेतृत्‍वकर्ता लोग शामिल होंगे जो समावेशी, सतत और जलवायु के लिहाज से स्‍मार्ट भारतीय शहरों के निर्माण के प्रति कृत संकल्पित हैं। कोविड-19 महामारी के कारण वर्चुअली आयोजित किये जाने वाले इस कार्यक्रम में 150 चिंतक, नीति निर्धारक, वित्‍तीय विशेषज्ञ, शिक्षाविद्, वैज्ञानिक तथा सिविल सोसाइटी के सदस्‍यों के भाग लेने की सम्‍भावना है। ये विशेषज्ञ स्‍वच्‍छ, हरित और समानतापूर्ण ऐसे भारतीय शहरों के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने के लिये चर्चा करेंगे जो पर्यावरणीय तथा आर्थिक रूप से सतत तथा रोगमुक्‍त हों। पूरे सप्‍ताह के दौरान इसमें शामिल होने वाले विशेषज्ञ भारतीय शहरों के सामने खड़ी महत्‍वपूर्ण चुनौतियों जैसे कि नगरीय आयोजना, जलापूर्ति सम्‍बन्‍धी मूलभूत ढांचा, वायु की गुणवत्‍ता, परिवहन, सुरक्षित तथा आसान पहुंच वाली सड़कें तथा पास-पड़ोस के क्षेत्र जैसे विषयों पर व्‍यापक चर्चा करेंगे ताकि इन सभी से जुड़े अन्‍य पहलू तथा महत्‍वपूर्ण सबक हासिल किये जा सकें। श्री पुरी ने कनेक्ट करो कार्यक्रम के दौरान आयोजित होने वाले आगामी महत्वपूर्ण तत्वों का उल्लेख करते हुए अपने संबोधन का समापन किया। इन सत्रों में इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े विभिन्न हित धारकों के लिए मास्टर क्लासेस की एक श्रृंखला, भारत में हाइड्रोजन के लिए कार्य योजना, जलवायु के प्रति सतत शहरों के निर्माण की आवश्यकता और बच्चों तथा जोखिम वाले अन्य समूहों के लिए समान रूप से सुलभ शहरों पर आयोजित होने वाले सत्र शामिल हैं।  कनेक्ट करो के पहले दिन आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम इस प्रकार हैं- * महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री श्री आदित्य ठाकरे द्वारा जलवायु के लिहाज से स्मार्ट मुंबई और शहरों को कार्बन न्यूनीकरण और अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए उनकी मदद करने के लिए जलवायु संबंधी नेतृत्व की भूमिका से संबंधित एक विजन दस्तावेज 'मुम्‍बई विजन' का लोकार्पण किया जाएगा। * बेसिक्स ऑफ हाइड्रोजन दस्तावेज जारी किया जाना। डब्ल्यूआरआई इंडिया ने भारत के लिए हाइड्रोजन रोडमैप पर आधारित यह दस्तावेज तैयार किया है। इस पत्र में एक वैकल्पिक ईंधन के रूप में हाइड्रोजन की क्षमता और इसे उत्पादित करने में इस्तेमाल की जाने योग्य प्रौद्योगिकियों के बारे में चर्चा की जाएगी। मुम्‍बई विजन का लोकार्पण करने से पहले श्री ठाकरे ने कहा ''जलवायु परिवर्तन यहां, हमारे घरों और चारों तरफ है। हम जलवायु से सम्‍बन्धित रोज बढ़ते गम्‍भीर खतरों के बीच जी रहे हैं। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से निपटने का समय हमारे हाथ से निकलता जा रहा है। मुम्‍बई क्‍लाइमेट एक्‍शन प्‍लान सिर्फ नीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ठोस कदम उठाने पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है।'' कनेक्ट करो वीक के दौरान आयोजित होने वाले सत्रों में सेफ एक्सेस टू स्कूल (एसएटीएस) टूल भी जारी किया जाएगा। यह एक वेब आधारित जियोएनालिटिक्स टूल है जो स्कूलों के आसपास सड़क सुरक्षा संबंधी संकेतकों पर केंद्रित है। एसएटीएस टूल एकीकृत डाटा सेट उपलब्ध कराकर स्कूलों के आसपास सुरक्षा संबंधी कदमों को लागू करने में व्याप्त खामियों को समाप्त करने में मददगार साबित होगा। इन इंटीग्रेटेड डाटा सेट्स को शहर की एजेंसियों, ट्रैफिक पुलिस, नागरिक समूहों, स्कूल तथा शोधकर्ताओं द्वारा बच्चों के लिए स्कूल का सुरक्षित वातावरण बनाने की योजना और उसे लागू करने के समन्वित प्रयासों में इस्तेमाल किया जा सकता है। कनेक्ट करो के सत्र में डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा तैयार किए गए नए नवेले और संवादात्मक 'रूट इवेलुएटर' को भी पहली बार सार्वजनिक किया जाएगा। इस टूल के निर्माण का उद्देश्य राज्य सरकार की परिवहन संबंधी एजेंसियों को कुछ विशिष्ट मार्गों पर इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के गुण-दोषों का मूल्यांकन करने मैं मदद करना और क्रियान्वयन  संबंधित योजनाओं को विकसित करना है। इसके अलावा 'इंडियास इवॉल्विंग ई-मोबिलिटी स्टार्टअप लैंडस्केप' नामक एक कमेंट्री भी जारी की जाएगी जिसमें स्टार्टअप्स द्वारा किए जा रहे अभिनव प्रयोगों और पहल के विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण तथा उपलब्ध परंपरागत और जलवायु संबंधी वित्तपोषण के अवसरों के मिश्रण को भी सामने रखा जाएगा। ओमिद्यार नेटवर्क इंडिया की प्रबंध निदेशक सुश्री रूपा कुडवा ने कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा "अगर हमें हर भारतीय के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है और उन्हें जन सेवाओं तथा सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराना है तो हमें उनसे वहीं मिलना होगा जहां वे रहते और काम करते हैं और हमारे नगरीय केंद्रों में यह सिलसिला बढ़ता जा रहा है। नगरीकरण का अधिकार हासिल करना जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले खतरों को कम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। पैदल मार्गों के आसपास सार्वजनिक स्थलों तथा परिवहन सेवाओं को डिजाइन करने वाले सुगठित, जुड़े हुए और समन्वित शहर ज्यादा समावेशी, उत्पादक और सतत होते हैं।  डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ डॉक्टर ओपी अग्रवाल ने कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा "भारत इस वक्त दुनिया की सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इसकी नगरीय आबादी के वर्ष 2050 तक 81 करोड़ 40 लाख तक पहुंच जाने का अनुमान है। जनसंख्या के विस्तार का दोहन करने और विकास का एक सतत मॉडल लागू करने के लिए यह जरूरी है कि हम ऐसे शहरों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करें जो स्वच्छ, हरे भरे और सभी के लिए सुखमय हों। कनेक्ट करो कार्यक्रम में हमारा उद्देश्य जलवायु के प्रति मित्रवत, कुदरत पर आधारित और समावेशी नगरीय विकास में तेजी लाने के लिए विभिन्न हित धारकों को एक मंच पर लाना है।" गोदरेज एंड बॉयस के प्रबंध निदेशक तथा डब्ल्यूआरआई इंडिया के चेयरमैन श्री जमशेद गोदरेज ने जरूरी बदलाव का लक्ष्य हासिल करने के लिए विभिन्न हितधारकों की भागीदारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा "हम इस वक्त जलवायु संबंधी आपात स्थिति का सामना कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए कंपनियों, निवेशकों, सरकारों तथा विभिन्न समुदायों को एक स्वच्छ, कम कार्बन युक्त और सामाजिक रुप से समानता पूर्ण जीवन शैली और कारोबार का माहौल स्थापित करने के लिए एकजुट होना पड़ेगा। ऐसे कदम उठाने के लिए आपसी सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। कनेक्ट करो जैसे कार्यक्रमों का आयोजन विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने और उनके बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए जरूरी है।" डब्ल्यूआरआई इंडिया अपनी 10वीं वर्षगांठ मना रहा है। ऐसे में कनेक्ट करो कार्यक्रम सततता, समानता तथा रहने योग्य माहौल बनाए रखने के आगामी दशक के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकास के अपने मिशन को पूरा करने के लिए विचार विमर्श और ज्ञान का आदान प्रदान करने का मंच साबित होगा। डब्ल्यूआरआई इंडिया रास सेंटर के बारे में डब्ल्यूआरआई इंडिया रास सेंटर एक शोध संगठन है जो सरकारो उद्योगों, बहुपक्षीय संस्थानों तथा सिविल सोसाइटी समूहों के साथ मिलकर उन व्यावहारिक समाधानों को विकसित करने की दिशा में काम करता है जिनसे लोगों का जीवन सुधरे और पर्यावरण की रक्षा हो। डब्ल्यूआरआई इंडिया रास सेंटर कम कार्बन युक्त, सतत और समावेशी बनने की भारतीय शहरों की यात्रा में सहयोग के प्रति समर्पित है। अधिक जानकारी के लिये यहां क्लिक करें - www.wricitiesindia.org कनेक्ट करो के बारे में कनेक्ट करो कार्यक्रम डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा वर्ष 2013 से आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत ऐसे भारतीय एवं वैश्विक नेताओं, नीति निर्धारकों तथा अन्य हितधारकों को एक मंच पर लाया जाता है जो समावेशी, सतत तथा जलवायु के प्रति मित्रवत भारतीय शहरों का डिजाइन बनाने के प्रति कृत संकल्पित हैं। हर साल कनेक्ट करो कार्यक्रम के दौरान वायु प्रदूषण, इलेक्ट्रिक परिवहन, नगरीय आयोजना, नगरीय जल संसाधन, जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण तथा जन परिवहन समेत विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपने अनुभव और शोध के निष्कर्षों को साझा करते हैं। कनेक्ट करो कार्यक्रम के विभिन्न सत्र खासतौर पर तैयार किए गए हैं ताकि अभिनव कार्य करने वाले लोगों, शोधकर्ताओं, राजनीतिक प्रतिनिधियों, सरकारी एजेंसियों, नीति निर्धारकों, उद्योगों तथा सिविल सोसायटी के सदस्यों के बीच संपर्क बढ़े। यह कार्यक्रम सतत शहरी विकास की दिशा में विचार और सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।  अधिक जानकारी के लिये यहां क्लिक करें - https://connectkaro.org/ Photo: 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