चंडीगढ़, भारत, 4 सितंबर, 2021 /PRNewswire/ -- देश के आर्थिक विकास और नेशनल सिक्योरिटी के लिए साइंस और टेक्नॉलोजी मुख्य आधार: डॉ. विजय लक्ष्मी सक्सेना
साइंस और टेक्नॉलोजी देश के आर्थिक विकास और नेशनल सिक्योरिटी के लिए आधार स्तंभ हैं। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों को एक दूसरे के साथ साझेदारियां स्थापित करनी चाहिए, जिससे रिसर्च के लिए संयुक्त प्रयास हमारी भविष्य की संभावनाओं और अपेक्षाओं को पूरा करेंगे। ये शब्द भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन, कोलकाता की जनरल प्रेसिडेंट डॉ. विजय लक्ष्मी सक्सेना ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं में आयोजित भारत के सबसे टेक्निकल इवेंट के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहे। टेक्निकल एजुकेशन में छात्रों के कौशल को एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से यूनिवर्सिटी द्वारा 4 सितंबर तक टेक इन्वेंट-2021 का आयोजन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम में आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी और आईआईएम जैसे प्रमुख संस्थानों के 50,000 से अधिक छात्र भाग ले रहे हैं।
समग्र शिक्षा सुनिश्चित करने और भारत को विश्व नेता के रूप में उभरने में मदद करने के लिए उच्च शिक्षा में भारतीय मूल्यों और नैतिकता को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण विचार सामने रखे गए। इस महत्वपूर्ण विषय पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष, श्री अनिल डी. सहरसाबुद्धे; यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि, प्रो. पद्मश्री जे.एस. राजपूत; एनईपीए, नई दिल्ली के वाइस चांसलर एनवी वर्गीज; प्रो. डॉ. अनंत दुराइपा, यूनेस्को डायरेक्टर; मनप्रीत सिंह मन्ना, यूएनओ सदस्य एशिया प्रशांत एमओयूसीएस समिति और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. आरएस बावा ने जानकारीपूर्ण भाषण दिए।
इस अवसर पर बात करते हुए डाॅ. विजय लक्ष्मी ने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर भारत एक शक्ति बन कर उभरा है और पिछले 6 से 7 दशकों में देश के वैज्ञानिकों ने कई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय साइंस और टेक्नोलॉजी को और अधिक बेहतर बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को कक्षा और पाठ्यपुस्तकों से आगे निकलकर विचार प्रक्रिया को गति प्रदान करने की आवश्यकता है तथा ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करना शैक्षणिक संस्थानों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रिसर्च की क्वालिटी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, उच्च जोखिम और ज्यादा लाभ वाली रिसर्च वैज्ञानिक और फैकल्टी सदस्यों को सरकार या प्राइवेट सेक्टर की रुचि वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
चर्चा के थीम पर बात करते हुए प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा, "सभी के लिए शिक्षा हमारे संविधान का शीर्षक है। नई शिक्षा नीति अपने पहले पैराग्राफ में ही पूर्ण मानव क्षमता की खोज और प्रयोग करने की बात करती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में प्रतिभा विद्यमान है तथा यह शिक्षकों की भूमिका है कि वे छात्रों की क्षमता की खोज करें, उसे तराशें, पहचानें, पोषण करें, समर्थन दें और उन्हें विकसित करें तथा यही हमारे भारतीय मूल्य और लोकाचार कहते हैं और यही नई शिक्षा नीति की बात करती है। स्कूल और उच्च शिक्षा में मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रो. सहस्रबुद्धे ने कहा, "मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा एक मजबूत नींव की ओर ले जाती है। सहस्रबुद्धे ने कहा कि कई छात्र अपनी मातृभाषा में 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण करते हैं और जब वे विभिन्न धाराओं में उच्च शिक्षा में आते हैं, तो उन्हें समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है और इसलिए उच्च शिक्षा में मातृभाषा की संभावना है।
कार्यक्रम में भारतीय शिक्षण पद्धति के बारे में बात करते हुए प्रो. पद्मश्री जे.एस. राजपूत ने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी से हम स्कूल के शुरुआती चरणों में छात्रों का बौद्धिक और नैतिक विकास का अधार मजबूत बनाते हैं, तो निश्चित रूप से उच्च शिक्षा में इसका परिणाम खुद-ब-खुद देखने को मिलेगा तथा शिक्षा में भारतीयों मूल्यों और समग्र विकास को सुनिश्चित करना मुश्किल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमें नॉलेज सोसाइटी की आवश्यकता है, परंतु उससे भी कहीं अधिक समग्र शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, चरित्र विकास की जरूरत है तथा इसे कैसे प्राप्त किया जाए, यह एक मुख्य सवाल है। उन्होंने कहा कि अगर छात्रों के नए आइडियाज और कल्पना को पोषित किया जाता है, इससे रचनात्मकता और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजना चाहते, ऐसे में सरकारी स्कूलों की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता को दोबारा स्थापित करने का यही उचित समय है।
बात करते हुए प्रो. एनवी वर्गीस ने कहा कि गरीबी और असमानता को कम करने के लिए शिक्षा सबसे शक्तिशाली उपकरण है। उन्होंने कहा कि इनोवेशन और समानता भविष्य में उच्च शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे तथा भविष्य में केवल उन्हीं संस्थानों का विकास होगा, जो छात्रों को इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले कुछ दशकों में स्कूलों तक पहुंच, शिक्षक-छात्र अनुपात, लड़कियों के नामांकन में सुधार आदि में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
इस विषय में बात करते हुए प्रो. अनंत दुरईअप्पा ने कहा कि हमें भारतीय शिक्षा प्रणाली में शिक्षार्थियों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता से लैस करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है तथा टीचर्स ट्रेनिंग में सामाजिक और भावनात्मक प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक छात्रों के भविष्य के करियर के लिए सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं और इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए, शिक्षक को पहले अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम होना चाहिए।
वर्चुअल सेशन को संबोधित करते हुए प्रो. केम एशेड ने कहा, "टेक्नोलॉजी हमें एक साथ ला सकती है और हम सभी को बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकती है। आपके पास वह बुद्धिमत्ता होनी चाहिए जहां मानवता टेक्नोलॉजी के सामने खड़ी हो और बेहतर दुनिया के लिए एक कदम आगे बढ़े।" उन्होंने कहा कि भारत और इज़राइल हमेशा दूसरे देशों को एक-दूसरे के खिलाफ काम नहीं करने के लिए राजी करते हैं और हमेशा अंतरिक्ष क्षेत्र में समाज की बेहतरी के लिए एकजुट होकर काम करते हैं।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के बारे में
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एक NAAC A+ ग्रेड यूनिवर्सिटी है, जो यूजीसी द्वारा मान्यताप्राप्त स्वायत्त शैक्षणिक संस्थान है तथा पंजाब राज्य में चंडीगढ़ के पास स्थित है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी भारत की सबसे यंगेस्ट तथा पंजाब की एकमात्र प्राइवेट यूनिवर्सिटी है, जिसे NAAC (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) द्वारा A+ ग्रेड से सम्मानित किया गया है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी, लॉ, आर्किटेक्चर, जर्नालिज्म, एनीमेशन, होटल मैनेजमेंट, कॉमर्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में 109 से अधिक अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम प्रदान करती है। सर्वश्रेष्ठ प्लेसमेंट रिकॉर्ड के लिए यूनिवर्सिटी को वर्ल्ड कंसल्टिंग एंड रिसर्च कारपोरेशन (डब्ल्यूसीआरसी) द्वारा ''यूनिवर्सिटी विद बेस्ट प्लेसमेंट'' के खिताब से सम्मानित किया गया है।
Website: www.cuchd.in
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चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं में भारत के सबसे बड़े टेक्निकल इवेंट 2021 का शानदार आगाज़
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