ब्रेकथ्रू इंडिया के पैन-एशिया शिखर सम्मेलन 'रिफ्रेम का हुआ समापन
नयी दिल्ली, 7 मार्च, 2022 /PRNewswire/ -- ब्रेकथ्रू इंडिया का तीन दिवसीय पैन-एशिया शिखर सम्मेलन 'रिफ्रेम' लिंग आधारित हिंसा के खात्मे के लिए दुनियाभर के नारीवादियों के बीच हुए सार्थक संवाद से उभरी सिफारिशों के साथ खत्म हुआ। लिंग आधारित हिंसा के खात्मे के लिए एशियाई संदर्भ में भविष्य के एजेंडे का सह-निर्माण करने के मकसद से दो से चार मार्च के बीच इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
ब्रेकथ्रू इंडिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सोहिनी भट्टाचार्य की अगुवाई में विशेषज्ञों ने क्षेत्र में लिंग आधारित हिंसा (जीबीवी) की रोकथाम में बाधा पैदा करने वाली मुख्य समस्याओं पर चर्चा की।
इंटरनेशनल वुमेंस राइट्स एक्शन वॉच, एशिया-प्रशांत और मलेशिया की संस्थापक निदेशक शांति डेरियम ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, 'जीबीवी के खात्मे की नीति और रणनीति बनाने के लिए लिंग आधारित हिंसा की अवधारणा पर स्पष्टता होनी चाहिए। जीबीवी की गंभीरता को अक्सर यह कहते हुए कमतर कर दिया जाता है कि पुरुषों के खिलाफ भी ऐसी हिंसा होती है।'
शांति डेरियम ने कहा, 'नीति और रणनीति को यह स्थापित करना चाहिए कि महिलाओं को समान दर्जा न मिलना लिंग आधारित हिंसा का मूल कारण है। इसके अलावा, जीबीवी के खात्मे के लिए हमें एक व्यापक कार्य-योजना भी बनानी चाहिए।'
शांति डेरियम ने कहा, 'कार्य-योजना बनाते समय कानून प्रवर्तन एजेंसियों, महिला संगठनों और राहत सेवाओं आदि के संबंधित हस्तक्षेपों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही इसे सभी क्षेत्रों में एक ऐसे प्रभावी संस्थागत तंत्र के जरिया अमल में लाया जाना चाहिए, जो समन्वय के लिए जिम्मेदार होने के साथ-साथ साझा डाटाबेस का इस्तेमाल करता है, बजट आवंटित करता है और कार्यान्वयन एवं असर की निगरानी करता है।'
सतत विकास लक्ष्य-5 से संबंधित राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने के लिए जहां राष्ट्रीय स्तर की वकालत अहम है,वहीं क्षेत्रीय गठबंधन और भागीदारी क्षेत्रीय स्तर पर प्रयासों और संसाधनों को साथ लाने में अहम भूमिका निभाती है। इसके अलावा, यह विविधताओं से भरे इस क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लैंगिक हिंसा के मुद्दे से तत्काल निपटने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय प्रतिक्रिया की शुरुआत और कार्यान्वयन के प्रयासों को भी मजबूत बनाती है।
ए़शियन मुस्लिम एक्शन नेटवर्क, इंडोनेशिया की निदेशक रूबी खोलीफा ने कहा, 'महिलाओं से जुड़े नियम-कायदों के कार्यान्वयन की दिशा में समाजिक सहयोग की कमी और लोगों के बीच जागरूकत का अभाव बड़ी चुनौती है, क्योंकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर समुदायों की अपनी धार्मिक व्याख्या है। कुछ लोग धर्म का इस्तेमाल अपराधियों को बचाने के लिए करते हैं। वे दावा करते हैं कि पत्नियों को सही रास्ते पर लाने के लिए उनके साथ हिंसा जायज है।'
रूबी खोलीफा ने कहा, '2017 में हमें महसूस हुआ कि जीबीवी के खात्मे से जुड़ा एजेंडा तैयार करने में धर्मगुरुओं को शामिल करने के तरीके में व्यापक बदलाव करने की जरूरत है। धर्मगुरुओं को सबसे पहले पीड़ितों की आवाज सुनाई जानी चाहिए। खासकर इंडोनेशिया में इस्लामी ग्रंथों की व्याख्या महिला अधिकारों के समर्थन के लिहाज से की जानी चाहिए।'
महिला अधिकार संगठनों के सामने एक और चुनौती संसाधन है। एसोसिएशन फॉर वुमेंस राइट्स डेवलपमेंट (एडब्ल्यूआईडी) के मुताबिक, फंडिंग को लेकर नई प्रतिबद्धताएं जताए जाने के बावजूद महिला अधिकार संगठनों को कुल आधिकारिक विकास राशि का केवल 0.13%, जबकि सभी लिंग-संबंधी मदद का महज 0.4% हिस्सा हासिल हो पाता है।
एडब्ल्यूआईडी की भारत इकाई में नारीवादी आंदोलनों की फंडिंग की प्रबंधक गोपिका बख्शी ने कहा, 'लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम की दिशा में काम करने वाले लोग संसाधनों के लिए संघर्ष करते हैं। पिछले साल 48 फीसदी नारीवादी आयोजनों का औसत वार्षिक बजट 30,000 अमेरिकी डॉलर या उससे कम था।'
गोपिका बख्शी ने कहा, 'महिलाओं, लड़कियों और ट्रांसजेंडरों, जिन्हें अलग-अलग स्तर पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है, उनके नेतृत्व वाले संगठनों के लिए तो संसाधन और भी कम हैं। डोनर ईकोसिस्टम के डाटा से पता चलता है कि लैंगिक समानता से जुड़ी पहलों के लिए सिर्फ 1 फीसदी राशि की प्रतिबद्धता जताई जाती है।'
गोपिका बख्शी ने कहा, 'एशिया, खासकर भारत में नारीवादी आंदोलनों के लिए बेहद सीमित फंडिंग और संसाधन उपलब्ध हैं। पिछले तीन वर्षों में भी लिंग आधारित हिंसा के खात्मे की दिशा में काम करने वाले संगठनों के लिए फंडिंग हासिल करना, सुरक्षित रूप से अपनी गतिविधियों को जारी रखना और धन प्रवाह का नियमन करना बेहद मुश्किल रहा है।'
'ब्रेकथ्रू' पिछले दो दशकों से देशभर में नियम-कायदों और सोच में बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित कर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा व भेदभाव की रोकथाम की दिशा में काम कर रहा है। इस शिखर सम्मेलन ने घरेलू, निजी, सार्वजनिक, कार्यस्थल सहित सभी जगहों पर ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही मोर्चों पर जीबीवी से निपटने और उसकी रोकथाम में कारगर सर्वोत्तम प्रथाओं, सीख, रणनीतियों और उपकरणों पर प्रकाश डाला।
ब्रेकथ्रू के बारे में--
ब्रेकथ्रू महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की अस्वीकार्य बनाने की दिशा में काम करता है. हम किशोरों और युवाओं, उनके परिवारों और उनके समुदायों के साथ मिलकर काम करने के अलावा मीडिया अभियानों, लोकप्रिय कला और संस्कृतियों का उपयोग करके अपने आसपास एक समानता वाला माहौल तैयार करने के लिए लैंगिक मानदंडों को बदलने में जुटे हैं.
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