• अग्निकुल भारत की पहली निजी कंपनी है जिसने अपना लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र बनाया है।
  • इस केंद्र का उद्घाटन इसरो के अध्यक्ष श्री. एस सोमनाथ ने किया। 
  • यह निजी लॉन्चपैड श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के परिसर में है 
  • भारतीय अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
  • अग्निकुल का आगामी निर्देशित एवं नियंत्रित प्रक्षेपण इसी सुविधा केन्द्र से किया जाएगा

भारतीय अंतरिक्ष-तकनीक स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉस्मोस ने सोमवार को घोषणा की कि उसके द्वारा तैयार और संचालित भारत के पहले निजी लांचपैड तथा मिशन नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र स्थित इसरो परिसर में किया गया है।

अंतरिक्ष स्टार्टअप अग्निकुल भारत की पहली निजी कंपनी बनी जिसने अपना लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र बनाया

अंतरिक्ष स्टार्टअप अग्निकुल भारत की पहली निजी कंपनी बनी जिसने अपना लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र बनाया
स्टार्टअप की योजना भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास में बनाई गयी थी और इससे, यह साल खत्म होने से पहले अग्निबाण रॉकेट को प्रक्षेपित करने की भी योजना है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने 25 नवंबर को अग्निकुल लांचपैड का उद्घाटन किया था

अग्निकुल द्वारा डिज़ाइन किया गया है और इसरो और IN-SPACe के समर्थन में निष्पादित किया गया है। अग्निकुल कॉस्मोस केंद्र में दो हिस्से- अग्निकुल लांचपैड (एएलपी) और अग्निकुल मिशन नियंत्रण केंद्र (एएमसीसी) हैं।

सोमनाथ ने कहा, ‘‘सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में एक निजी प्रक्षेपण यान के लिए पहला विशेष लांचपैड तैयार किया गया है। अब, भारत एक और अंतरिक्ष प्लेटफॉर्म से अंतरिक्ष की यात्रा कर सकता है। इसके लिए अग्निकुल का शुक्रिया।’’

अग्निकुल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, ‘‘हमारे अंतरिक्ष यानों को उस केंद्र से प्रक्षेपित करना अग्निकुल में हम सभी के लिए सपने के सच होने जैसा है जिसे हमने डिजाइन किया है और खुद बनाया है।’’

स्टार्टअप के एक बयान के अनुसार, इस पैड से अग्निकुल का पहला प्रक्षेपण एक नियंत्रित और दिशानिर्देशित मिशन होगा

उसने कहा कि अग्निबाण ऐसा दो स्तर वाला रॉकेट है जिसे अपनी जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है। इसमें 100 किलोग्राम तक पेलोड को करीब 700 किलोमीटर ऊंचाई तक कक्षाओं में ले जाने की क्षमता है

चेन्नई से संचालित स्टार्टअप ने दुनिया का पहला एक भाग वाला 3डी प्रिंट इंजन अग्निनेट भी विकसित किया है।

रविचंद्रन ने 2017 में मोइन एसपीएम और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एस आर चक्रवर्ती के साथ मिलकर अग्निकुल की स्थापना की थी।

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