बेंगलुरु, भारत, 28 अगस्त, 2023 /PRNewswire/ -- नीति आयोग की 2018 की रिपोर्ट के तहत भारत की 54% से भी अधिक आबादी अलग-अलग तरीकों से पानी के गहरे संकट से जूझ रही है, जैसे किसानों की उपज घटना, उनका पलायन, मिट्टी की सेहत बिगड़ना और पानी पर निर्भर फसलों की गुणवत्ता में गिरावट। बारिश का पानी वह सर्वश्रेष्ठ समाधान है जो भारत को इस संकट से बाहर निकाल सकता है।
भारत विविधताओं का देश है, सिर्फ़ लोगों की जातियों व धर्मों के आधार पर ही नहीं बल्कि क्षेत्रों के बीच भिन्नताओं के आधार पर भी। मिसाल के तौर पर, महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण गन्ने की 2, 00,000 हैक्टेयर फसल की बर्बादी ग्रामीण इलाकों में किसानों की दुर्दशा साफ़ दिखाती है। यह विविधता ग्रामीण इलाकों में बाढ़ और सूखे की समस्याओं का समाधान कर सकती है। लेकिन ऐसा तब संभव है जब कुछ पेचीदा जल परियोजनाओं की बजाए बड़ी संख्या में छोटी व सरल जल परियोजनाएँ कुशलतापूर्वक लागू की जाएँ।
जलतारा - भारत में पानी की समस्याओं का समाधान
आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के मार्गदर्शन में चल रही जलतारा नामक पहल, भारत के गाँवों में सूखे और बाढ़ की मौजूदा समस्याओं को समूल समाप्त करने के उद्देश्य से भारत के किसानों और गाँवों की तकदीर निश्चित तौर पर बदल रही है। वर्ष 2021 में शुरू हुए इस मिशन में, भारत के गाँवों में हर संभव जगह पर सबसे निचले बिंदु पर पुनर्भरण संरचनाएँ' बनाए जाते हैं ताकि बारिश का पानी मिट्टी की ऊपरी सतह पर रुके बिना सीधे ज़मीन के नीचे पहुँच जाए। 4x4 फ़ीट चौड़े और 6-7 फ़ीट गहरी इन संरचनाओं में कंकड़-पत्थर भरे जाते है।
जलतारा: भारत के किसानों और गाँवों की नई तकदीर - एक पद्धति जो सूक्ष्म स्तर पर सटीक है।
पहले बारिश का पानी ज़मीन पर जमा रहता था जो अब मिट्टी की ऊपरी परत पर रुके बिना ज़मीन की गहराई में बनी इन संरचना में इकट्ठा हो जाता है। अब गाँवों पर बाढ़ की तलवार नहीं लटकेगी और इससे मिट्टी का कटना और फसलों को नुकसान भी काफ़ी हद तक कम हो जाएगा। मिट्टी की गुणवत्ता सुधरने से फसलें अच्छी होंगी और किसानों को अधिक उपज मिलेगी क्योंकि वे अलग-अलग मौसमों में अलग-अलग फसलें उगा पाएँगे। जल संरक्षण की छोटी-छोटी और मानकीकृत परियोजनाओं की दृष्टि से पूरे भारत में लगातार प्रगति देखने को मिल रही है।
जलतारा परियोजना का कार्यान्वयन - ग्रामीण और किसान इस मिशन के मूल आधार हैं
आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने अपने विचार रखते हुए कहा, "जब आप सेवा को अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लेते हैं तो आपका डर खत्म हो जाता है, आपका मन एकाग्र हो जाता है, आप उद्देश्यपूर्ण कार्य करते हैं और आपको दीर्घकालिक आनंद मिलता है।" जलतारा परियोजना का विशाल प्रभाव, ज़मीन पर काम कर रहे जलतारा सेवकों की अनथक कोशिशों और दृढ़संकल्प से संभव हो पाया है; वे ग्रामीणों के उल्लेखनी य योगदान के साथ महीनों तक लगातार काम कर रहे हैं। किसानों ने भी श्रमदान करके गड्ढे भरे और रेत, कंकड़-पत्थर आदि कीमती संसाधन प्रदान किए।
आर्ट ऑफ़ लिविंग द्वारा नियुक्त भूगर्भवेत्ताओं और विशेषज्ञों के सम्मानित दल ने फोटो/जिओटैग और भूजलस्तर जैसी वैज्ञानिक मापों के उपयोग से परियोजना से पहले और बाद के प्रभाव का जनांकिक विश्लेषण किया।
अब तक परियोजना की उपलब्धियाँ असरदार रही हैं! कई और उपलब्धियाँ हासिल होंगी।
महाराष्ट्र के जालना ज़िले के गाँवों में 45,500 पुनर्भरण संरचनाएँ बनाए जा चुके हैं और 40,000 पेड़ लगाए जा चुके हैं; ये संरचनाएं ज़मीनी स्तर पर अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुके हैं। यह परियोजना अब से मात्र पाँच वर्षों के भीतर पूरे भारत के 1, 00,000 गाँवों में 5 करोड़ संरचनाएं खोदकर 30 ट्रिलियन लीटर पानी रीचार्ज करने का लक्ष्य रखती है। पानी के संकट को खत्म करने की दिशा में काम करना और ग्रामीणों को जल-पुनर्जीवन का दीर्घकालिक महत्व बताना इस परियोजना का लक्ष्य है।
एक छः माह की परियोजना में चार माह के दौरान ग्रामीणों को शिक्षित किया गया और डेटा इकट्ठा किया गया और दो माह में मॉनसून से पहले मशीनों से सरचनाएं बनाई गईं ताकि बारिश के पूरे मौसम में वर्षाजल संरक्षण और बाढ़ की रोकथाम के क्षेत्र में अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
जलतारा भारत की जल भंडारण क्षमता को हर वर्ष कई ट्रिलियन बढ़ाने और देश के सामने मौजूद पानी के संकट को खत्म करने का एक विज़न है जिसे आर्ट ऑफ़ लिविंग आगे बढ़ा रहा है। इसके अनुकरणीय परिणाम इस सपने की शुरुआत को पहले ही लाभकारी साबित कर चुके हैं। आर्ट ऑफ़ लिविंग में कार्यरत सेवकों की अनथक कोशिशों ने कुछ लाख लीटर प्राप्त करने में मदद की है और आगे चलकर यह आँकड़ा बढ़ता ही जाएगा।
आर्ट ऑफ़ लिविंग की सामाजिक परियोजनाओं के बारे में
विश्वविख्यात लोकोपकारी और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा 1981 में स्थापित आर्ट ऑफ़ लिविंग एक गैर-लाभ, शैक्षिक और लोकोपकारी संगठन है जो जलतारा जैसी अपनी सामाजिक परियोजनाओं के माध्यम से ग्रामीण भारत के कोने-कोने तक पहुँचने और भारत में पानी की कमी समूल खत्म करने का लक्ष्य रखती है।
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