बेंगलुरू, भारत, 3 जून, 2024 /PRNewswire/ -- "हर अपराधी के अंदर एक पीड़ित होता है जो मदद की गुहार करता है। जब आप उस पीड़ित का दुख दूर करते हैं, तो वह अपराधी नहीं रहता।'' गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के ये विचार अपने आप में आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा कैदियों के पुनर्वास को प्रेरित करने वाला गहरा दर्शन समेटे हुए हैं।
आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव की कोशिश करना
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा 1990 में शुरू किया गया जेल कार्यक्रम आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलावों की कोशिश में लगा रहा है। यह कैदियों और जेल कर्मचारियों के गहरे तनाव का समाधान करता है, और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सहित संबंधों को अधिक सम्मानजनक बनाता है। इस कार्यक्रम का प्रभाव दूरगामी है, जिसके लाभों में निराशा और चिंता में कमी, नींद की आदतों में सुधार और कैदियों के बीच आपस में तथा सुधार कर्मियों और कैदियों के बीच आपसी समझ को बढ़ाना शामिल है।
सिर्फ भारत में ही, 100 से अधिक जेलों में शुरू किए गए योग, प्राणायाम और ध्यान अभ्यासों से 3,50,000 से अधिक कैदियों को लाभ मिला है। सिर्फ तिहाड़ जेल (एशिया की सबसे बड़ी जेल) में ही 60,000 से अधिक दोषियों और 130 जेल कर्मचारियों ने बदलाव से जुड़े इन कार्यक्रमों में भाग लिया है, जिसके फलस्वरूप उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है।
ये पहल कार्यक्रम शुरू में तो पुनर्वास पर ध्यान देने के साथ शुरू हुए थे, पर अब इसमें भावनात्मक और व्यावहारिक दोनों तरह की ज़रूरतें पूरी करने के लिए कई गतिविधियों की एक व्यापक कड़ी शामिल हो गई है। 2019 से, 65 देशों के 800,000 से अधिक कैदियों के जीवन पर जेल कौशल विकास कार्यक्रमों के ज़रिए अनुकूल प्रभाव पड़ा है; अकेले भारत की 28 जेलों में 6,500 कैदियों को इसमें प्रशिक्षित किया गया है।
बदलाव की तिकड़ी: तीन-चरणों वाली सोच
पुनर्वास कार्यक्रम की सफलता तीन-चरणों वाली सोच पर निर्भर है:
1.भावनात्मक दुख दूर करना: संपूर्ण, परिणाम-संचालित कार्यक्रमों का आधार अभ्यास ही हैं जिनमें योग, प्राणायाम, ध्यान, विश्व प्रसिद्ध श्वास व्यायाम सुदर्शन क्रिया और व्यवहारिक प्रशिक्षण शामिल हैं। ये कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, जिनसे कैदियों को उनके तंत्रिका तंत्र में बढ़ते तनाव को कम करने और आघात, अपराधबोध और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं के चक्रव्यूह से मुक्त होने में मदद मिलती है। इसमें भाग लेने वाले प्रतिकूल भावनाओं का कारगर ढंग से प्रबंधन करना सीखते हैं।
2.व्यावसायिक प्रशिक्षण: कैदियों को व्यावसायिक कौशल प्रदान करना एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम है जिससे वे समाज से फिर से जुड़ने की दिशा में सफल होते हैं। यह उन्हें नौकरी के बाज़ार में किस्मत आज़माने का ज़रूरी साधन और आत्मविश्वास देता है, जिससे रिहाई के बाद वे अपनी बिरादरी में कुछ अच्छा योगदान दे सकें। ऐसी सोच कैदियों को उद्देश्य और सम्मान की भावना प्रदान करने के साथ-साथ दोबारा अपराध करने की संभावना को भी घटा देती है।
3.जेल के कर्मचारियों का तनाव दूर करना: ऐसे विशेष कार्यक्रम जेल कर्मचारियों और कानून लागू करने वाले पेशेवरों की मानसिक और भावनात्मक भलाई को बढ़ावा देते हैं, तथा काम के माहौल को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं। इन पेशेवरों में फैले तनाव के विशेष कारणों और चुनौतियों का समाधान किया जाता है।
प्रमाणन और नौकरी में सहायता
व्यावसायिक प्रशिक्षण के अतिरिक्त, कैदियों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने पर प्रमाणपत्र भी मिलता है, जिससे नौकरीपेशा लोगों में शामिल होने की उनकी तैयारी में अच्छी-खासी वृद्धि होती है। रिहाई के बाद उन्हें रोजगार दिलवाने में मदद करने के लिए व्यापक नौकरी सहायता सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं। कौशल विकास, प्रमाणन और नौकरी में सहायता के इस मिले-जुले कार्यक्रम से कैदियों को समाज के साथ फिर जुड़ने और सार्थक भविष्य बनाने का बढ़ावा मिलता है।
आगे का सफर
इस जेल कार्यक्रम का मिशन बिल्कुल स्पष्ट है: कैदियों के जीवन का संपूर्ण पुनर्वास करना और आपराधिक न्याय प्रणाली में लोगों के जीवन पर अनुकूल प्रभाव डालना। रुके हुए समय को प्रतिभा में बदलकर, जेल कार्यक्रम न केवल कैदियों के जीवन को बदलता है, बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली में भी अनुकूल बदलाव लाता है। भावनात्मक दुख दूर करने और व्यावहारिक कौशल विकास के ज़रिए, कैदियों को अपना जीवन फिर से संवारने, अपराध फिर से करने की कोशिशें घटाने और अपनी बिरादरी के लिए उज्ज्वल भविष्य बनाने के साधन दिए जाते हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग सोशल प्रोजेक्ट्स के बारे में
आर्ट ऑफ लिविंग नवीन कार्यक्रमों और प्रचलित तकनीकों के अनूठे मिश्रण से व्यक्तियों को सशक्त बनाने में समर्पित है। यह संगठन व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देता है, तथा वैश्विक स्तर पर व्यक्तियों को ज़रूरी जीवन कौशल, भावनात्मक बुद्धि और आज की दुनिया की जटिलताओं से निपटने के लिए अनुकूलन क्षमता प्रदान करता है।
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आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव की कोशिश करना
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर द्वारा 1990 में शुरू किया गया जेल कार्यक्रम आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलावों की कोशिश में लगा रहा है। यह कैदियों और जेल कर्मचारियों के गहरे तनाव का समाधान करता है, और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सहित संबंधों को अधिक सम्मानजनक बनाता है। इस कार्यक्रम का प्रभाव दूरगामी है, जिसके लाभों में निराशा और चिंता में कमी, नींद की आदतों में सुधार और कैदियों के बीच आपस में तथा सुधार कर्मियों और कैदियों के बीच आपसी समझ को बढ़ाना शामिल है।
सिर्फ भारत में ही, 100 से अधिक जेलों में शुरू किए गए योग, प्राणायाम और ध्यान अभ्यासों से 3,50,000 से अधिक कैदियों को लाभ मिला है। सिर्फ तिहाड़ जेल (एशिया की सबसे बड़ी जेल) में ही 60,000 से अधिक दोषियों और 130 जेल कर्मचारियों ने बदलाव से जुड़े इन कार्यक्रमों में भाग लिया है, जिसके फलस्वरूप उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है।
ये पहल कार्यक्रम शुरू में तो पुनर्वास पर ध्यान देने के साथ शुरू हुए थे, पर अब इसमें भावनात्मक और व्यावहारिक दोनों तरह की ज़रूरतें पूरी करने के लिए कई गतिविधियों की एक व्यापक कड़ी शामिल हो गई है। 2019 से, 65 देशों के 800,000 से अधिक कैदियों के जीवन पर जेल कौशल विकास कार्यक्रमों के ज़रिए अनुकूल प्रभाव पड़ा है; अकेले भारत की 28 जेलों में 6,500 कैदियों को इसमें प्रशिक्षित किया गया है।
बदलाव की तिकड़ी: तीन-चरणों वाली सोच
पुनर्वास कार्यक्रम की सफलता तीन-चरणों वाली सोच पर निर्भर है:
1.भावनात्मक दुख दूर करना: संपूर्ण, परिणाम-संचालित कार्यक्रमों का आधार अभ्यास ही हैं जिनमें योग, प्राणायाम, ध्यान, विश्व प्रसिद्ध श्वास व्यायाम सुदर्शन क्रिया और व्यवहारिक प्रशिक्षण शामिल हैं। ये कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, जिनसे कैदियों को उनके तंत्रिका तंत्र में बढ़ते तनाव को कम करने और आघात, अपराधबोध और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं के चक्रव्यूह से मुक्त होने में मदद मिलती है। इसमें भाग लेने वाले प्रतिकूल भावनाओं का कारगर ढंग से प्रबंधन करना सीखते हैं।
2.व्यावसायिक प्रशिक्षण: कैदियों को व्यावसायिक कौशल प्रदान करना एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम है जिससे वे समाज से फिर से जुड़ने की दिशा में सफल होते हैं। यह उन्हें नौकरी के बाज़ार में किस्मत आज़माने का ज़रूरी साधन और आत्मविश्वास देता है, जिससे रिहाई के बाद वे अपनी बिरादरी में कुछ अच्छा योगदान दे सकें। ऐसी सोच कैदियों को उद्देश्य और सम्मान की भावना प्रदान करने के साथ-साथ दोबारा अपराध करने की संभावना को भी घटा देती है।
3.जेल के कर्मचारियों का तनाव दूर करना: ऐसे विशेष कार्यक्रम जेल कर्मचारियों और कानून लागू करने वाले पेशेवरों की मानसिक और भावनात्मक भलाई को बढ़ावा देते हैं, तथा काम के माहौल को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं। इन पेशेवरों में फैले तनाव के विशेष कारणों और चुनौतियों का समाधान किया जाता है।
प्रमाणन और नौकरी में सहायता
व्यावसायिक प्रशिक्षण के अतिरिक्त, कैदियों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने पर प्रमाणपत्र भी मिलता है, जिससे नौकरीपेशा लोगों में शामिल होने की उनकी तैयारी में अच्छी-खासी वृद्धि होती है। रिहाई के बाद उन्हें रोजगार दिलवाने में मदद करने के लिए व्यापक नौकरी सहायता सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं। कौशल विकास, प्रमाणन और नौकरी में सहायता के इस मिले-जुले कार्यक्रम से कैदियों को समाज के साथ फिर जुड़ने और सार्थक भविष्य बनाने का बढ़ावा मिलता है।
आगे का सफर
इस जेल कार्यक्रम का मिशन बिल्कुल स्पष्ट है: कैदियों के जीवन का संपूर्ण पुनर्वास करना और आपराधिक न्याय प्रणाली में लोगों के जीवन पर अनुकूल प्रभाव डालना। रुके हुए समय को प्रतिभा में बदलकर, जेल कार्यक्रम न केवल कैदियों के जीवन को बदलता है, बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली में भी अनुकूल बदलाव लाता है। भावनात्मक दुख दूर करने और व्यावहारिक कौशल विकास के ज़रिए, कैदियों को अपना जीवन फिर से संवारने, अपराध फिर से करने की कोशिशें घटाने और अपनी बिरादरी के लिए उज्ज्वल भविष्य बनाने के साधन दिए जाते हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग सोशल प्रोजेक्ट्स के बारे में
आर्ट ऑफ लिविंग नवीन कार्यक्रमों और प्रचलित तकनीकों के अनूठे मिश्रण से व्यक्तियों को सशक्त बनाने में समर्पित है। यह संगठन व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देता है, तथा वैश्विक स्तर पर व्यक्तियों को ज़रूरी जीवन कौशल, भावनात्मक बुद्धि और आज की दुनिया की जटिलताओं से निपटने के लिए अनुकूलन क्षमता प्रदान करता है।
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