साल 2020 में जब लोग कोविड-19 और इससे संबंधित लॉकडाउन से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय पेशे से एक डॉक्टर डॉ. राधिका श्रीवास्तव ने अपने स्टार्ट-अप ‘यूनीवर्ल्ड केयर’ की शुरूआत की। इसका काम प्रौद्योगिकी संचालित समाधानों की सहायता से स्वास्थ्य इकोसिस्टम को फिर से परिभाषित करना है।
यूनीवर्ल्ड केयर डिजिटल स्वास्थ्य मंचों जैसे; टेलिकंसल्टेशन, टेलि-काउंसलिंग और टेलि-एजुकेशन के माध्यम से लॉकडाउन के चलते उत्पन्न घबराहट, डर, चिंता, तनाव और अवसाद से जूझ रहे मरीजों को चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान करता है। ये सभी बीमारियों के बोझ को बढ़ाने काम करते हैं। ये मरीजों के विभिन्न समूहों को “फाइट कोरोना” के नाम से मिलना भी शुरू हो गया है। इनमें उनके प्रियजन, रिश्तेदार और दोस्त शामिल हैं, जो लोगों को दिशानिर्देशों, इलाज, जांच केंद्रों की सूची और संदेह एवं भ्रांतियों को दूर करने के लिए सक्रिय रूप से जानकारी दे रहे हैं। वे अपने मरीजों को आहार, व्यायाम और मानसिक सेहत जैसी विभिन्न विधियों से अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निर्देशित करते रहते हैं। उन्होंने वीडियो परामर्श के साथ सहायता के लिए आईं कॉल्स के माध्यम से समय पर हस्तक्षेप कर कई जिंदगियों को बचाया है। इसके अलावा वैसे लोग जो अकेले हैं, विशेषकर वृद्धों पर अपनी नजर रखी है। यह पहले से शुरू की गई टेलिमेडिसिन समाधान ‘उपचार क्लिनिक’ और ईएमआर/ स्वास्थ्य कार्ड (स्वास्थ्य पत्री) की उनकी कोशिशों के बाद एक और प्रयास है।
डॉ. राधिका श्रीवास्तव महिला उद्यमिता और सशक्तिकरण (डब्ल्यूडब्ल्यूई) द्वारा प्रशिक्षित महिलाओं के समूह से हैं। यह आईआईटी-दिल्ली और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई भारत की अपनी तरह की पहल है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में शामिल होने के लिए सक्षम बनाना और प्रोत्साहित करना है।
निकिता सोंखिया, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, कॉरपोरेट नौकरी को छोड़ा और फिर जनवरी, 2020 में माईऑनअर्थ की शुरूआत की। माईऑनअर्थ रोजमर्रा की चीजें जैसे; प्लास्टिक की टूथब्रश को टिकाऊ विकल्पों के साथ उपलब्ध कराता है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को सेवाएं देता है। इनमें यूनाइटेड किंगडम (यूके), मार्क मुलहोलैंड आयरलैंड, इजरायल, लातविया से विक्टोरिया शामिल हैं। कोविड-19 महामारी ने उन्हें सीधे कस्टमर ब्रांड के रूप में उद्यम करने का अवसर दिया और अब इनके उत्पाद बेंगलुरू स्थित कई खुदरा दुकानों में उपलब्ध हैं. इसके अलावा वे अपने ऑनलाइन पोर्टल और टिकाऊ ब्रांड पर ध्यान केंद्रित करते हुए चयनित ई-कॉमर्स स्टोर्स के माध्यम से भी पूरे देश में उत्पादों की बिक्री करते हैं। उन्होंने जयपुर स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के साथ भी साझेदारी की है। यह एनजीओ महिलाओं को नियमित काम देकर उनको आर्थिक रूप से समक्ष बनाता है। इस संगठन से जुड़ी लगभग 50 कारीगर माईऑनअर्थ के लिए डिजाइन और हस्तशिल्प पर काम कर रही हैं।
ट्राइबिफोरयूबाइ, अमरुथा वल्ली का एक उद्यम है। यह एक संवर्धित वास्तविकता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी समाधान है, जो ग्राहकों को ट्राइ उत्पादों जैसे; आभूषण, परिधान, चश्मा, घड़ियां, फर्नीचर, वॉलपेपर, पेंटिंग और सजावट की चीजों को खरीदने से पहले उनकी सुविधा के अनुसार मोबाइल या लैपटॉप के जरिए मदद कर सकता है। महामारी की वजह से जो हमारे बाहर जाने और खरीदारी करने के तरीके पर असर पड़ा, उससे इस उद्यम को बढ़ावा मिला है।
यशोधरा पाटिल द्वारा स्थापित एक उद्यम किड्जोपीडिया ने इस महामारी और लॉकडाउन के दौरान पाठ्येतर गतिविधि भाग में एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है। यह गैर-अकादमिक क्षेत्र के लोकतंत्रीकरण के उद्देश्य का साथ शुरू किया गया। यह मंच माता-पिता को कुछ सेकेंडों के भीतर नजदीक स्थित अकादमी को खोजने में सहायता के लिए गैर-शैक्षणिक संस्थानों और गतिविधियों, महामारी के दौरान वर्चुअल मोड में स्थानांतरण, बाल मनोवैज्ञानिकों के साथ समन्वय, स्कूल शिक्षण गतिविधियों के बाद विशेषज्ञ प्रशिक्षकों और अन्य संस्थानों की सुविधा प्रदान करता है, जो बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को जारी रखते हैं।
साबुन उत्पादों की उपलब्धता और स्वच्छ जल की पहुंच को व्यापक रूप से शायद पहले उतना महसूस नहीं किया था, जितना महामारी के दौरान किया गया। इस दिशा में अपने सामाजिक उद्यम आर्टिजन्स टेक्नोलॉजीज के माध्यम से एक पर्यावरणविद् और आईआईटी-दिल्ली से कचरा प्रबंधन में पीएचडी डॉ. कल्पना अरोड़ा (डब्ल्यूईई 2020 स्नातक) काम रह रही हैं। वर्तमान परिदृश्य में स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक साम्रगी के माध्यम से साबुन उत्पादों को बनाने की स्थिति शून्य है। इसके लिए एक विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली का उपयोग किया जाता था।
आर्टिजन्स टेक्नोलॉजिज बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों के साथ मिलकर स्थानीय लाभार्थियों को सोपनट्स और बाजरा के रूप में कच्चा माल इकट्ठा करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण देती हैं। प्राथमिक संसाधित साम्रगी स्थानीय लाभार्थियों से खरीदी जाती है और प्रसंस्करण इकाई में एकत्र की जाती है। अंतिम प्रसंस्करण और पैकेजिंग के बाद उत्पाद को उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी और निजी विभागों में वितरित एवं विपणन जाता है। इस प्रकार एक उद्यमशीलता श्रृंखला का निर्माण किया गया है, जिससे सभी को लाभ होता है।
डब्ल्यूईई द्वारा प्रशिक्षित महिला उद्यमियों ने अपने नवाचार विचारों के माध्यम से एसएंडटी आधारित उद्यमशीलता में समाविष्टि का निर्माण किया है और सभी नए सामान्य को एक बेहतर रूप देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
डब्ल्यूईई की सह-संस्थापक अर्पणा सारोगी ने बताया, ‘हमलोगों ने डब्ल्यूईई महिला उद्यमियों की त्वरित जवाबदेही और अनुकूलन देखा है। उनकी चुस्ती, नवाचार और आधुनिक तकनीक को अपनाने से वे कमाई के नए द्वार खोलने और ग्राहकों तक बेहतर पहुंच बनाने में सक्षम हुई हैं। वे ग्राहकों की उभरती हुई जरूरतों को समझकर और सहभागिता, आलोचनात्मक सोच एवं आंतरिक मानव मूल्यों पर केंद्रित प्रौद्योगिकी को अपनाकर बेहतर नई सामान्य स्थिति का निर्माण कर रही हैं।