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भारत के क्रिकेट सत्र की हवाई फिल्मांकन के लिए ड्रोन की अनुमति दी गई

ड्रोन का उपयोग के लिए बीसीसीआई को अनुमति दी गई

इस साल भारत के क्रिकेट सत्र की हवाईफिल्मांकन के सीधे प्रसारण के लिएड्रोन की अनुमति दी गई है



नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने साल 2021 में भारत के क्रिकेट सत्र की हवाई छायांकन के सीधे प्रसारण के लिए ड्रोनों के उपयोगको लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) सशर्त छूट दी है।

मंत्रालय को इसके लिएबीसीसीआई और मेसर्स क्विडिक से अनुरोध प्राप्त हुआ था। इसमें कहा गया था कि मंत्रालय हवाई फिल्मांकन के सीधे प्रसारण के लिएरिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) के उपयोग और अन्यअनुरोधों की अनुमति दें।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अम्बर दुबे ने कहा --
हमारे देश में ड्रोन इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है।इसका उपयोग कृषि, खनन, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन से लेकर खेल एवं मनोरंजन के क्षेत्रों में हो रहा है। यह अनुमति देना देश में ड्रोन के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के उद्देश्यों के अनुरूप है।
उन्होंने आगे कहा, “ड्रोन नियम- 2021 कानून मंत्रालय के साथ चर्चा के अंतिम चरण में है। मार्च, 2021 तक इसे अनुमति मिलने की हम उम्मीद कर रहे हैं।”

बीसीसीआई को यह सशर्त छूट पत्र जारी होने की तिथि या डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म (चरण-1) के पूर्ण संचालन, जो भी पहले हो से लेकर 31 दिसंबर, 2021 तक वैध है। वहीं यह छूट तभी मान्य होगी, जब निम्नलिखित सभी शर्तों और सीमाओं का सख्ती से पालन किया जाए।किसी भी शर्त के उल्लंघन की स्थिति में यह छूट अमान्य हो जाएगी।


क्रिकेट सत्र 2021 के दौरानहवाई फिल्मांकन के सीधे प्रसारण के लिए रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) के उपयोग को लेकर बीसीसीआई और मेसर्स क्विडिक की शर्तें और सीमाएं

1.  बीसीसीआई कोयह छूट पैरा 5.2(बी), 5.3, 6, 7, 8.4, 9.2, 11 (डी), 11.2 (ए), 12.3(ए), 12.4 और सीएआर सेक्शन 3 के सीरिजएक्स केभाग I के पैरा 12.5नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा विमानन नियम, 1937 के नियम 15ए से छूट के अधीन है।

2.  बीसीसीआई रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएस) के परिचालन से पहले (ए) स्थानीय प्रशासन, (बी) रक्षा मंत्रालय, (सी) गृह मंत्रालय, (डी)भारतीय वायु सेना से वायु रक्षा मंजूरी और (ई) भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई)[आवश्यक रूप से लागू] सेजरूरी मंजूरी प्राप्त करेगा।

3.  बीसीसीआई द्वारा आरपीएएस संचालक के रूप मेंशामिल मेसर्स क्विडिक केवल स्वीकृत मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी)में निर्दिष्ट आरपीएएस मॉडल का परिचालन करेगी। दस्तावेज संख्या क्यूआईयूएसओपी/2021/01 आरईवी 0 तिथि आठ जनवरी, 2021। आरपीएएस के संचालन में वैध ड्रोन अभिस्वीकृति संख्या (डीएएन)[एसओपी में निर्दिष्ट] है, जो उसके द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्र में उपर्युक्त एसओपी के अनुसार परिचालित की जाएगी।अनुमोदित एसओपी में किसी भी तरह के परिवर्तन जैसे;प्रक्रियाओं या आरपीएएस में बदलाव या स्वीकृत एसओपी में निर्दिष्ट मामले या कार्मिक या क्षेत्र उपयोग एसओपी में शामिल किया जाएगा और डीजीसीए के सामने अनुमति के लिए पेश किया जाएगा। 

4.  बीसीसीआई यह सुनिश्चित करेगा कि केवल प्रशिक्षित एवं अनुभवी प्रामाणित कार्मिक ही स्वीकृत एसओपी के अनुरूप आरपीएएस का परिचालन करेंगे। इसी तरह, आरपीएएस संचालक यह सुनिश्चित करेगा कि दूरस्थ उड़ान चालक दल को अनुमोदित एफटीओ/आरपीटीओ के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाए।

5.  आरपीएएस संचालक यह सुनिश्चित करेगा कि आरपीएएस काम करने की स्थिति में है और जैसाकि एसओपी में उल्लिखित है, उसे उसी तरह रखा गया है। इसके अलावा वह किसी खराबी के चलते उपकरणकेभटकावकी वजह से उत्पन्न किसी भी घटना के लिए जिम्मेदार होगा।

6.  आरपीएएस संचालक प्रत्येक आरपीए उड़ान के रिकॉर्ड को बनाए रखेगा और इसकी मांग होने पर डीजीसीए को यह उपलब्ध कराया जाएगा। 

7.  बीसीसीआई डीजीसीए के विनियमन एवं सूचना निदेशालय या रक्षा मंत्रालय (जैसाकि लागू हो) से एरियल फोटोग्राफी के बारे में जरूरी अनुमति प्राप्त करेगा। आरपीएएस के माध्यम से ली गई फोटोग्राफ/वीडियोग्राफ का उपयोग केवल बीसीसीआई द्वारा किया जाएगा।वहीं आरपीएएस और इसके माध्यम से एकत्रित डेटा की सुरक्षा के लिए बीसीसीआई जिम्मेदारी होगा।

8.  संचालक यह सुनिश्चित करेगा डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को शुरू करने के बाद जल्द से जल्द आरपीएएस को एनपीएनटी के अनुरूप (क्यूसीआई द्वारा प्रमाणित) बना दिया जाए। 

9.  बीसीसीआई यह सुनिश्चित करेगा कि मेसर्स क्विडिक द्वारा परिचालित प्रत्येक आरपीएएस में अग्नि प्रतिरोधक पहचान प्लेट हो, जो आरपीएएस के ओएएन, डीएएन और मॉडल नंबर के साथ कानूनी रूप से अंकित है।

10.  आरपीएएस का परिचालन केवल अनियंत्रित हवाई क्षेत्र में विजुअल लाइन ऑफ साइट(वीएलओएस) के भीतर दिन के उजाले या लाइट के लिए अच्छी स्थितियों (2000 एलयूएक्स से ऊपर) में 200 फीट (एजीएल) की अधिकतम ऊंचाई तक ही सीमित होगा।

 

11. सीएआर के प्रावधानों के मुताबिक आरपीएएस को हवाईअड्डे के नजदीकी क्षेत्र में संचालित नहीं किया जाएगा। वहीं हवाईअड्डे/नियंत्रित हवाई क्षेत्र में परिचालन की जरूरत होने पर समय और क्षेत्र के संबंध में आरपीएएस के परिचालन की पूर्व अनुमति भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) से लेना होगा।

12.  बीसीसीआई यह सुनिश्चित करेगा कि आरपीएएस की उड़ान के दौरान किसी भी सामाग्री को छोड़ा या गिराया नहीं जाएगा। इसके अलावा बीसीसीआई को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी परिस्थिति में आरपीए का उपयोग करके खतरनाक सामाग्री या वैरिएबल पेलोड को नहीं ले जाया जाएगा।

13.    बीसीसीआई यह सुनिश्चित करेगा कि असंबंधित व्यक्तियों को परिचालन क्षेत्र (भूतल नियंत्रण स्टेशन सहित) में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी और स्वीकृत एसओपी में निर्दिष्ट सुरक्षा शर्तों को सुनिश्चित एवं इस पत्र का पालन करना होगा।

14.  बीसीसीआई लोगों, संपत्ति, संचालक आदि की सुरक्षा एवं निजता को सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा किसी भी घटना को लेकर डीजीसीए को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। 

15.  संचालक यह सुनिश्चित करेगा कि आरपीएएस से किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान न पहुंचे। उपकरण के साथ शारीरिक संपर्क के कारण किसी भी व्यक्ति को चोट लगने पर संचालक और बीसीसीआई चिकित्सा-कानूनी संबंधी मामलों के लिए जिम्मेदार होंगे। बीसीसीआई यह सुनिश्चित करेगा कि बीमा पॉलिसी वैध रहे और आरपीएएस के संचालन के दौरान दुर्घटना के परिणामस्वरूप तीसरे पक्ष की किसी भी क्षति के लिए यह पर्याप्त स्तर का हो।

16. संचालक संबंधित मंत्रालयों/प्राधिकरणों की अनुमति के बिना सीएआर सेक्शन 3 की सीरिज एक्स के भाग I के पैरा 13.1 में नो-फ्लाई जोन में आरपीएएस का परिचालन नहीं करेगा।

17.  बीसीसीआई और मेसर्स क्विडिक इन परिचालनों के चलते उत्पन्न किसी भी कानूनी या अन्य किसी तरह के मामलों को लेकर डीजीसीए की क्षतिपूर्ति करेंगे।

18.   यह पत्र अन्य सरकारी एजेंसियों या कोई उपनियमों द्वारा रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम पर लगाए गए अन्य प्रतिबंधों एवं एसओपी को रद्द नहीं करेगा।

19.    परिचालन के किसी भी चरण के दौरान घटना/दुर्घटना के मामले में संचालक 24 घंटे के भीतर डीजीसीए के हवाई सुरक्षा निदेशालय को पूरे विवरण के साथ एक रिपोर्ट सौंपेगा।

20.     संचालक सुरक्षा निरीक्षण के संचालन के लिए अग्रिम रूप से डीजीसीए (के रूप में और जब उपलब्ध हो) परिचालन के कार्यक्रम (स्थान एवं परिचालन की तिथि) को निर्धारित करेगा। इस बारे में, बीसीसीआई इस कार्यक्रम को करने के लिए डीजीसीए तक पहुंच को सुनिश्चित करेगा।

21.   उपरोक्त सीएआर में निर्दिष्ट प्रावधान और इस पत्र में निर्दिष्ट शर्तों एवं सीमाओं के उल्लंघन की स्थिति में जारी की गई अनुमति शून्य एवं अमान्य हो जाएगी। वहीं उपरोक्त सीएआर के पैरा 18 के अनुसार प्रवर्तन कार्रवाई शुरू की जाएगी। 

 

महिला उद्यमियों के नवाचार विचार नए सामान्य को एक बेहतर रूप देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं


साल 2020 में जब लोग कोविड-19 और इससे संबंधित लॉकडाउन से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय पेशे से एक डॉक्टर डॉ. राधिका श्रीवास्तव ने अपने स्टार्ट-अप ‘यूनीवर्ल्ड केयर’ की शुरूआत की। इसका काम प्रौद्योगिकी संचालित समाधानों की सहायता से स्वास्थ्य इकोसिस्टम को फिर से परिभाषित करना है।

यूनीवर्ल्ड केयर डिजिटल स्वास्थ्य मंचों जैसे; टेलिकंसल्टेशन, टेलि-काउंसलिंग और टेलि-एजुकेशन के माध्यम से लॉकडाउन के चलते उत्पन्न घबराहट, डर, चिंता, तनाव और अवसाद से जूझ रहे मरीजों को चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान करता है। ये सभी बीमारियों के बोझ को बढ़ाने काम करते हैं। ये मरीजों के विभिन्न समूहों को “फाइट कोरोना” के नाम से मिलना भी शुरू हो गया है। इनमें उनके प्रियजन, रिश्तेदार और दोस्त शामिल हैं, जो लोगों को दिशानिर्देशों, इलाज, जांच केंद्रों की सूची और संदेह एवं भ्रांतियों को दूर करने के लिए सक्रिय रूप से जानकारी दे रहे हैं। वे अपने मरीजों को आहार, व्यायाम और मानसिक सेहत जैसी विभिन्न विधियों से अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निर्देशित करते रहते हैं। उन्होंने वीडियो परामर्श के साथ सहायता के लिए आईं कॉल्स के माध्यम से समय पर हस्तक्षेप कर कई जिंदगियों को बचाया है। इसके अलावा वैसे लोग जो अकेले हैं, विशेषकर वृद्धों पर अपनी नजर रखी है। यह पहले से शुरू की गई टेलिमेडिसिन समाधान ‘उपचार क्लिनिक’ और ईएमआर/ स्वास्थ्य कार्ड (स्वास्थ्य पत्री) की उनकी कोशिशों के बाद एक और प्रयास है।

डॉ. राधिका श्रीवास्तव महिला उद्यमिता और सशक्तिकरण (डब्ल्यूडब्ल्यूई) द्वारा प्रशिक्षित महिलाओं के समूह से हैं। यह आईआईटी-दिल्ली और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई भारत की अपनी तरह की पहल है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में शामिल होने के लिए सक्षम बनाना और प्रोत्साहित करना है।

निकिता सोंखिया, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, कॉरपोरेट नौकरी को छोड़ा और फिर जनवरी, 2020 में माईऑनअर्थ की शुरूआत की। माईऑनअर्थ रोजमर्रा की चीजें जैसे; प्लास्टिक की टूथब्रश को टिकाऊ विकल्पों के साथ उपलब्ध कराता है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को सेवाएं देता है। इनमें यूनाइटेड किंगडम (यूके), मार्क मुलहोलैंड आयरलैंड, इजरायल, लातविया से विक्टोरिया शामिल हैं। कोविड-19 महामारी ने उन्हें सीधे कस्टमर ब्रांड के रूप में उद्यम करने का अवसर दिया और अब इनके उत्पाद बेंगलुरू स्थित कई खुदरा दुकानों में उपलब्ध हैं. इसके अलावा वे अपने ऑनलाइन पोर्टल और टिकाऊ ब्रांड पर ध्यान केंद्रित करते हुए चयनित ई-कॉमर्स स्टोर्स के माध्यम से भी पूरे देश में उत्पादों की बिक्री करते हैं। उन्होंने जयपुर स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के साथ भी साझेदारी की है। यह एनजीओ महिलाओं को नियमित काम देकर उनको आर्थिक रूप से समक्ष बनाता है। इस संगठन से जुड़ी लगभग 50 कारीगर माईऑनअर्थ के लिए डिजाइन और हस्तशिल्प पर काम कर रही हैं।

ट्राइबिफोरयूबाइ, अमरुथा वल्ली का एक उद्यम है। यह एक संवर्धित वास्तविकता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी समाधान है, जो ग्राहकों को ट्राइ उत्पादों जैसे; आभूषण, परिधान, चश्मा, घड़ियां, फर्नीचर, वॉलपेपर, पेंटिंग और सजावट की चीजों को खरीदने से पहले उनकी सुविधा के अनुसार मोबाइल या लैपटॉप के जरिए मदद कर सकता है। महामारी की वजह से जो हमारे बाहर जाने और खरीदारी करने के तरीके पर असर पड़ा, उससे इस उद्यम को बढ़ावा मिला है।

यशोधरा पाटिल द्वारा स्थापित एक उद्यम किड्जोपीडिया ने इस महामारी और लॉकडाउन के दौरान पाठ्येतर गतिविधि भाग में एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है। यह गैर-अकादमिक क्षेत्र के लोकतंत्रीकरण के उद्देश्य का साथ शुरू किया गया। यह मंच माता-पिता को कुछ सेकेंडों के भीतर नजदीक स्थित अकादमी को खोजने में सहायता के लिए गैर-शैक्षणिक संस्थानों और गतिविधियों, महामारी के दौरान वर्चुअल मोड में स्थानांतरण, बाल मनोवैज्ञानिकों के साथ समन्वय, स्कूल शिक्षण गतिविधियों के बाद विशेषज्ञ प्रशिक्षकों और अन्य संस्थानों की सुविधा प्रदान करता है, जो बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को जारी रखते हैं।

साबुन उत्पादों की उपलब्धता और स्वच्छ जल की पहुंच को व्यापक रूप से शायद पहले उतना महसूस नहीं किया था, जितना महामारी के दौरान किया गया। इस दिशा में अपने सामाजिक उद्यम आर्टिजन्स टेक्नोलॉजीज के माध्यम से एक पर्यावरणविद् और आईआईटी-दिल्ली से कचरा प्रबंधन में पीएचडी डॉ. कल्पना अरोड़ा (डब्ल्यूईई 2020 स्नातक) काम रह रही हैं। वर्तमान परिदृश्य में स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक साम्रगी के माध्यम से साबुन उत्पादों को बनाने की स्थिति शून्य है। इसके लिए एक विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली का उपयोग किया जाता था।

आर्टिजन्स टेक्नोलॉजिज बड़े पैमाने पर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों के साथ मिलकर स्थानीय लाभार्थियों को सोपनट्स और बाजरा के रूप में कच्चा माल इकट्ठा करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण देती हैं। प्राथमिक संसाधित साम्रगी स्थानीय लाभार्थियों से खरीदी जाती है और प्रसंस्करण इकाई में एकत्र की जाती है। अंतिम प्रसंस्करण और पैकेजिंग के बाद उत्पाद को उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी और निजी विभागों में वितरित एवं विपणन जाता है। इस प्रकार एक उद्यमशीलता श्रृंखला का निर्माण किया गया है, जिससे सभी को लाभ होता है।

डब्ल्यूईई द्वारा प्रशिक्षित महिला उद्यमियों ने अपने नवाचार विचारों के माध्यम से एसएंडटी आधारित उद्यमशीलता में समाविष्टि का निर्माण किया है और सभी नए सामान्य को एक बेहतर रूप देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

डब्ल्यूईई की सह-संस्थापक अर्पणा सारोगी ने बताया, ‘हमलोगों ने डब्ल्यूईई महिला उद्यमियों की त्वरित जवाबदेही और अनुकूलन देखा है। उनकी चुस्ती, नवाचार और आधुनिक तकनीक को अपनाने से वे कमाई के नए द्वार खोलने और ग्राहकों तक बेहतर पहुंच बनाने में सक्षम हुई हैं। वे ग्राहकों की उभरती हुई जरूरतों को समझकर और सहभागिता, आलोचनात्मक सोच एवं आंतरिक मानव मूल्यों पर केंद्रित प्रौद्योगिकी को अपनाकर बेहतर नई सामान्य स्थिति का निर्माण कर रही हैं।
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