भारत के महत्वाकांक्षी सीओपी27 (COP27) जलवायु लक्ष्यों के साथ, नई रिपोर्ट में भवन क्षेत्र को बदलने के लिए समाधान और क्रॉस-कटिंग सहयोगी समाधानों का प्रस्ताव किया गया है।
नई दिल्ली, 14 नवंबर, 2022 /PRNewswire/ -- 27वीं संयुक्त राष्ट्र वार्षिक जलवायु वार्ता — COP27 — से पहले NIUA (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स) और RMI(रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट) ने एक नई रिपोर्ट, From the Ground Up, जारी की है जो भारत के निर्माण परिवेश से ऊर्जा और उत्सर्जन को कम करने के लिए नया संपूर्ण-प्रणाली दृष्टिकोण प्रदान करती है।
भवनों से उत्सर्जन 2050 तक चार गुना बढ़ने का अनुमान है। समग्र-प्रणालीगत दृष्टिकोण को लागू करके, भवन संचालन की उत्सर्जन तीव्रता को 2030 तक 45% तक कम किया जा सकता है। सामान्य परिदृश्य के विपरीत कुल भवनों के उत्सर्जन को 2050 तक 75% तक कम किया जा सकता है। यह एक ऐसे मार्ग पर चलकर पूरा किया जा सकता है जो पहले ऊर्जा की जरूरतों को कम करे, फिर यथासंभव कुशलता से जरूरतों को पूरा करे, और अंत में मांग को अनुकूलित करते हुए स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति प्रदान करता हो।
NIUA के निदेशक हितेश वैद्य ने रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा, "हम भारत के विकास के चरण में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं जहां शहरी प्रवासन और विकास तेज गति से हो रहा है।" "यह हमें पहली बार सही निर्माण करने का अवसर देता है। मैं निर्माण सामग्री निर्माताओं, भवन निर्माताओं, उपकरण निर्माताओं, गैर सरकारी संगठनों और नीति निर्माताओं से एक साथ आने और हमारे माननीय प्रधान मंत्री द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहयोग करने का आह्वान करता हूं।"
यह रिपोर्ट एक साल के व्यापक शोध और लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी के सहयोग से किए सहायक विश्लेषण के बाद तैयार की गई है। अल्पावधि, उच्च-प्राथमिकता वाली कार्रवाइयों की रूपरेखा थर्मल कंफर्ट व उत्पादकता में सुधार करते हुए ऊर्जा की खपत कम कर सकती है, लचीलापन बढ़ा सकती है और ऊर्जा आपूर्ति के बुनियादी ढांचे में निवेश को कम कर सकती है। इस साल की शुरुआत में, एनआईयूए (NIUA) और आरएमआई (RMI) ने इस रिपोर्ट में प्रस्तावित समाधानों पर विचार-विमर्श करने के लिए हितधारकों का सम्मेलन किया।
RMI के प्रबंध निदेशक क्ले स्ट्रेंजर, ने कहा, "कई समाधान पहले से मौजूद हैं, और सरकार, शिक्षा जगत व निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ ऊर्जा कोड, इमारतों की रेटिंग, उत्पाद दक्षता, आदि पर इस महत्वपूर्ण संवाद में योगदान कर रहे हैं। हमारे सामान्य पर्यावरण, आर्थिक व सामाजिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन प्रयासों को एकीकृत करना और हमारे प्रभाव को बढ़ाना समय की मांग है।"
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भारत शुद्ध-शून्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2050 तक अपने भवनों से उत्सर्जन को आधा कर सकता है
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