कर्नाटक को मिला अपना पहला IIT धारवाड़ में

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज हुबली-धारवाड़, कर्नाटक में प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में आईआईटी धारवाड़ को राष्ट्र को समर्पित किया जाना शामिल है, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री ने फरवरी, 2019 में किया था।

850 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया आईआईटी धारवाड़ संस्थान वर्तमान में 4 वर्षीय बी.टेक कोर्स प्रदान करता है। इसके अलावा, अंतर- अनुशासनात्मक 5- वर्षीय बीएस- एमएस कार्यक्रम, एम.टेक और पीएचडी कार्यक्रम भी शामिल हैं।

टेक हब और भारत की सिलिकॉन वैली — बेंगलुरु शहर —के राज्य के रूप में जाने जाने वाले, कर्नाटक प्रदेश IIT की मौजूदगी से अब तक वंचित रहा । प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट 2015-16 में आईआईटी- धारवाड़ को मंजूरी दी थी।

धारवाड़, जो विद्या काशी और शिक्षणा काशी के नाम से प्रसिद्ध है कर्नाटक का पहला आई.आई.टी. की मेजबानी करेगा।

धारवाड़ को कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी के लिए जाना जाता है ख़ास कर इसका साहित्य और संगीत। प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक दिग्गजों को श्रद्धांजलि दी। 


प्रधानमंत्री ने कहा, “धारवाड़ में आईआईटी के नये परिसर से जहां गुणवत्तापर्ण शिक्षा सुगम होगी, वहीं बेहतर भविष्य के लिए युवा प्रतिभाएं तैयार होंगी।” उन्होंने कहा कि नया आईआईटी परिसर कर्नाटक की विकास यात्रा के इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है। उन्होंने धारवाड़ आईआईटी परिसर की उच्च तकनीकी सुविधाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करेगा जो संस्थान को दुनिया के अन्य प्रमुख संस्थानों के समान ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

आईआईटी धारवाड़ परिसर को वर्तमान सरकार की 'संकल्प से सिद्धि' (अर्थात संकल्पों द्वारा उपलब्धि) की भावना का एक प्रमुख उदाहरण बताते हुए प्रधानमंत्री ने फरवरी 2019 में इसकी आधारशिला रखने के अवसर को याद किया और इसके महज 4 साल की अवधि के भीतर पूरा होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। हालांकि, इस बीच कोरोनोवायरस महामारी के कारण रास्ते में कई बाधाएं भी आईं। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिलान्यास से लेकर लोकार्पण तक, डबल इंजन की सरकार लगातार काम करती है। हम उन्हीं परियोजनाओं के उद्घाटन के संकल्प में विश्वास रखते हैं, जिनका शिलान्यास हमने किया हो।”

IIT धारवाड़ संस्थान का नया भवन फरवरी 2023 को 



गौरतलब है कि दिवंगत केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एसआर बोम्मई ने 1990 के दशक में धारवाड़ में आईआईटी की मांग को लेकर केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा था।

बाद में 1998 में, इसरो के पूर्व अध्यक्ष और अंतरिक्ष वैज्ञानिक उडुपी रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली एक समिति ने हुबली-धारवाड़ में एक आईआईटी की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के केंद्रीय बजट में कर्नाटक राज्य के लिए IIT के बजट को मंजूरी दी। 

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