नासिक, भारत, 26 अक्टूबर 2023 /PRNewswire/ -- भारत, आध्यात्मिक श्रद्धा की भूमि, एक स्मारकीय संरचना के उदय का गवाह बन रही है जो धार्मिक परिदृश्य को फिरसे परिभाषित करने के लिए तैयार है। भारतीय उपमहाद्वीप में फैले आस्था के शाश्वत अभयारण्यों के बीच स्थित, यहअसाधारण परियोजना, जिसे "सनातन का महानतम मंदिर" के रूप में जाना जाता है, प्राचीन और समकालीन दोनों हीसमर्पित उपासकों के दिल और दिमाग पर कब्जा कर रही है।
ऐसे देश में जहां सदियों पुराने मंदिर स्थायी आस्था के प्रमाण के रूप में खड़े हैं, भारत नए मंदिरों के निर्माण के लिएएक उपजाऊ भूमि बना हुआ है, जो इसके वफादार अनुयायियों की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसा कि दुनियाभर में भव्य मंदिरों के निर्माण को देख रही है, एक परियोजना है जो बाकियों से ऊपर है - "सनातन का सबसे महानमंदिर।"
चल रहे इस महत्वपूर्ण प्रयास ने स्थानीय और वैश्विक स्तर पर, जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों का ध्यान आकर्षितकिया है। जबकि दुनिया भर में कई भव्य मंदिर बनाए गए हैं, ये दुर्लभ रचनाएँ हैं, जो यकीनन एक युग में एक बार होतीहैं, जो वास्तव में इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ती हैं।
महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के शहादा तहसील में " श्रीश्रीनारायणपुरम तीर्थ " के नाम से साकार हो रहा है.विश्व विख्यात पद्मनाभस्वामी मंदिर के निर्माण के पाँच हजार पाँच सौ (5500) वर्षों के बाद भारत भूमि में आज वैसा ही पवित्र और श्रेष्ठ विष्णु तीर्थ शहादा में निर्माण हो रहा है. यह विश्वभर के भक्तों की आस्था का केंद्र होगा.
विष्णु भगवान को ही आंध्रप्रदेश में तिरुपति बालाजी, केरल में पद्मनाभ स्वामी,तमिलनाडु में श्रीरंगनाथ स्वामी,महाराष्ट्र में विट्ठल,गुजरात में द्वारिकाधीश, उत्तराखंड में श्रीबद्रीनाथ तथा नेपाल में मुक्तिनाथ एवं सर्वत्र श्रीनारायण विष्णु भगवान के नाम से जाना जाता है. समस्त कामनाओं की पूर्ति के साथ परमगति मोक्ष को प्राप्त करने का सौभाग्य विष्णु भक्तों को ही प्राप्त होता है.
शहादा धाम की विशिष्टता शेषशायी विष्णु अर्थात श्रीनारायण को समर्पित इस तीर्थ के गर्भगृह में 11 फिट के शयन मुद्रा वाली पंच धातुओं से निर्मित श्रीमूर्ति कि स्थापना होगी जिसका भार 21 हज़ार किलो है. साथ ही 5100 शालग्राम स्वरूप भी विराजमान होंगे.इससे भू-वैकुण्ठ के समान यह श्रेष्ठ तीर्थ होगा.
नर्मदा और तापी इन दोनों पवित्र नदियों के मध्य के क्षेत्र में स्थित है शहादा नगर, कल्कि विहार ग्रंथ के अनुसार कल्कि अवतार का यहाँ आगमन होगा
श्रीनारायण भक्ती पंथ के बारे में
श्रीनारायण भक्ती पंथ का भगीरथ संकल्प महान तपस्वी,सर्व शास्त्र विशारद,भक्ति योग के भास्कर एवं
श्रीनारायण भक्ती पंथ के प्रवर्तक नित्य वंदनीय सद्गुरु श्रीलोकेशानंदजी महाराज की पावन प्रेरणा से अनेकों सनातन प्रेमी भक्तों द्वारा सेवा समर्पण के भाव से यह तीर्थ साकार हो रहा है.
श्रीनारायण भक्ती पंथ के अतिरिक्त पंथ नर सेवा नारायण सेवा के लिए तत्पर है जिसमें अनेकों जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक आर्थिक और अन्य भोजन, वस्त्र तथा मेडिकल,शिक्षा सेवाओं को पंहुचाया जाता है तथा समय समय पर आदिवासि कन्याओं को शिक्षा के लिए राशि भी दी जाती है. वृक्षारोपण,रक्तदान एवं पशुओं के लिए भी अनेक प्रकार के प्रकल्प चलाये जाते हैं.
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ऐसे देश में जहां सदियों पुराने मंदिर स्थायी आस्था के प्रमाण के रूप में खड़े हैं, भारत नए मंदिरों के निर्माण के लिएएक उपजाऊ भूमि बना हुआ है, जो इसके वफादार अनुयायियों की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसा कि दुनियाभर में भव्य मंदिरों के निर्माण को देख रही है, एक परियोजना है जो बाकियों से ऊपर है - "सनातन का सबसे महानमंदिर।"
चल रहे इस महत्वपूर्ण प्रयास ने स्थानीय और वैश्विक स्तर पर, जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों का ध्यान आकर्षितकिया है। जबकि दुनिया भर में कई भव्य मंदिर बनाए गए हैं, ये दुर्लभ रचनाएँ हैं, जो यकीनन एक युग में एक बार होतीहैं, जो वास्तव में इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ती हैं।
महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के शहादा तहसील में " श्रीश्रीनारायणपुरम तीर्थ " के नाम से साकार हो रहा है.विश्व विख्यात पद्मनाभस्वामी मंदिर के निर्माण के पाँच हजार पाँच सौ (5500) वर्षों के बाद भारत भूमि में आज वैसा ही पवित्र और श्रेष्ठ विष्णु तीर्थ शहादा में निर्माण हो रहा है. यह विश्वभर के भक्तों की आस्था का केंद्र होगा.
विष्णु भगवान को ही आंध्रप्रदेश में तिरुपति बालाजी, केरल में पद्मनाभ स्वामी,तमिलनाडु में श्रीरंगनाथ स्वामी,महाराष्ट्र में विट्ठल,गुजरात में द्वारिकाधीश, उत्तराखंड में श्रीबद्रीनाथ तथा नेपाल में मुक्तिनाथ एवं सर्वत्र श्रीनारायण विष्णु भगवान के नाम से जाना जाता है. समस्त कामनाओं की पूर्ति के साथ परमगति मोक्ष को प्राप्त करने का सौभाग्य विष्णु भक्तों को ही प्राप्त होता है.
शहादा धाम की विशिष्टता शेषशायी विष्णु अर्थात श्रीनारायण को समर्पित इस तीर्थ के गर्भगृह में 11 फिट के शयन मुद्रा वाली पंच धातुओं से निर्मित श्रीमूर्ति कि स्थापना होगी जिसका भार 21 हज़ार किलो है. साथ ही 5100 शालग्राम स्वरूप भी विराजमान होंगे.इससे भू-वैकुण्ठ के समान यह श्रेष्ठ तीर्थ होगा.
नर्मदा और तापी इन दोनों पवित्र नदियों के मध्य के क्षेत्र में स्थित है शहादा नगर, कल्कि विहार ग्रंथ के अनुसार कल्कि अवतार का यहाँ आगमन होगा
श्रीनारायण भक्ती पंथ के बारे में
श्रीनारायण भक्ती पंथ का भगीरथ संकल्प महान तपस्वी,सर्व शास्त्र विशारद,भक्ति योग के भास्कर एवं
श्रीनारायण भक्ती पंथ के प्रवर्तक नित्य वंदनीय सद्गुरु श्रीलोकेशानंदजी महाराज की पावन प्रेरणा से अनेकों सनातन प्रेमी भक्तों द्वारा सेवा समर्पण के भाव से यह तीर्थ साकार हो रहा है.
श्रीनारायण भक्ती पंथ के अतिरिक्त पंथ नर सेवा नारायण सेवा के लिए तत्पर है जिसमें अनेकों जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक आर्थिक और अन्य भोजन, वस्त्र तथा मेडिकल,शिक्षा सेवाओं को पंहुचाया जाता है तथा समय समय पर आदिवासि कन्याओं को शिक्षा के लिए राशि भी दी जाती है. वृक्षारोपण,रक्तदान एवं पशुओं के लिए भी अनेक प्रकार के प्रकल्प चलाये जाते हैं.
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